गोल्ड लोन में तेजी: आरबीआई की चिंताएं और नीतिगत दिशा

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भारतीय बैंकों और गोल्ड फाइनेंस कंपनियों द्वारा गोल्ड लोन का वितरण पिछले कुछ समय में तेजी से बढ़ा है, जिससे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की चिंता बढ़ गई है। वर्तमान में गोल्ड लोन की राशि 1.40 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है, जो न केवल वित्तीय संस्थानों के लिए एक अवसर है, बल्कि कई संभावित खतरों का भी संकेत देती है। इस लेख में हम इस स्थिति के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करेंगे।

गोल्ड लोन का बढ़ता चलन

गोल्ड लोन भारत में एक लोकप्रिय वित्तीय साधन बन चुका है। सामान्यत: ये लोन उन लोगों के लिए होते हैं जो नकद की तात्कालिक जरूरत को पूरा करने के लिए अपने सोने का उपयोग करना चाहते हैं। यह प्रक्रिया सरल और त्वरित होती है, जो इसे आकर्षक बनाती है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, FY25 की पहली तिमाही में गोल्ड लोन में साल-दर-साल 26% की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि इस तथ्य को दर्शाती है कि लोग तेजी से गोल्ड लोन की ओर रुख कर रहे हैं।

गोल्ड लोन
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वित्तीय आंकड़े

रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2024 की तिमाही में गोल्ड लोन में 32% की वृद्धि देखी गई। इसके अलावा, बैंक क्रेडिट पर आरबीआई के सेक्टोरल आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2024 तक गोल्ड लोन में लगभग 41% की वृद्धि हुई है। इस तेजी के पीछे कई कारण हैं, जिनमें सोने की बढ़ती कीमतें और बाजार में तरलता की आवश्यकता शामिल हैं।

आरबीआई की चिंता

गोल्ड लोन में इस तीव्र वृद्धि के पीछे छिपे संभावित खतरों को देखते हुए आरबीआई ने बैंकों को कुछ महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। सबसे बड़ी चिंता बैड लोन (खराब लोन) की बढ़ती संभावना है। यदि बैंकों ने लोन के वितरण में सावधानी नहीं बरती, तो यह उनकी वित्तीय स्थिति को कमजोर कर सकता है।

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नीतिगत सुधार का अल्टीमेटम

आरबीआई ने बैंकों को तीन महीने का समय दिया है ताकि वे अपनी लोन पॉलिसी में सुधार कर सकें। इस अवधि में बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके लोन ऑपरेशन में कोई अनियमितताएं न हों। आरबीआई ने सभी वित्तीय संस्थाओं से बेड लोन को छिपाने की कोशिशों को उजागर करने और किसी भी नीति में गैप की पहचान करने का भी आग्रह किया है।

अनियमितताओं की पहचान

आरबीआई की जांच में कई अनियमितताएं सामने आई हैं। उदाहरण के लिए, नए मूल्यांकन के बिना टॉप-अप लोन का उपयोग किया जा रहा है, और आंशिक भुगतान के बाद भी लोन दिए जा रहे हैं। ये समस्याएं लोन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती हैं और भविष्य में बैड लोन के लिए एक बड़ा ट्रिगर बन सकती हैं।

संभावित समाधान

गोल्ड लोन के बढ़ते खतरे को देखते हुए, बैंकों को अपने लोन मूल्यांकन प्रक्रिया को मजबूत करना होगा। इसके लिए कुछ संभावित समाधान निम्नलिखित हैं:

  1. सख्त मूल्यांकन प्रक्रिया: बैंकों को सुनिश्चित करना चाहिए कि लोन देने से पहले सोने की सही मूल्यांकन की जाए। इससे अनियमितताओं को कम करने में मदद मिलेगी।
  2. ग्राहक शिक्षा: बैंकों को अपने ग्राहकों को गोल्ड लोन के जोखिमों और जिम्मेदारियों के बारे में शिक्षित करना चाहिए। इससे ग्राहक बेहतर निर्णय ले सकेंगे।
  3. संगठित निगरानी: आरबीआई को बैंकों की लोन गतिविधियों की लगातार निगरानी करनी चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता को समय रहते पकड़ा जा सके।
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गोल्ड लोन का बढ़ता चलन एक सकारात्मक संकेत है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की बढ़ती वित्तीय जरूरतों को दर्शाता है। हालांकि, इसे ध्यान में रखते हुए, आरबीआई और बैंकों को भी अपनी नीतियों में सुधार लाने की आवश्यकता है। बैड लोन के बढ़ते जोखिम को नियंत्रित करने के लिए सावधानी बरतना अनिवार्य है।

इसलिए, अगर बैंकों ने सही कदम उठाए, तो गोल्ड लोन का यह ट्रेंड न केवल भारतीय वित्तीय क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक दिशा में जाएगा, बल्कि यह अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगा। आने वाले समय में बैंकों की नीतियों और आरबीआई के दिशा-निर्देशों का सही पालन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, ताकि इस क्षेत्र में स्थिरता बनी रहे।

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