गुजरात के लोथल का महत्व: सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ा बंदरगाह शहर

0

गुजरात के भाल क्षेत्र में स्थित लोथल, इतिहास और संस्कृति का अनूठा प्रतीक है। इसे विश्व के सबसे पुराने बंदरगाहों में से एक माना जाता है, जिसका संबंध सिंधु घाटी सभ्यता से है। हाल ही में, केंद्र सरकार ने लोथल में राष्ट्रीय समुद्री धरोहर परिसर (एनएमएचसी) के विकास के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। यह निर्णय भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण पहलू को पुनर्जीवित करने का एक बड़ा कदम है।

लोथल का ऐतिहासिक महत्व

लोथल का इतिहास 2200 ईसा पूर्व से जुड़ा है, जब यह एक प्रमुख व्यापार केंद्र था। यहां से मोती, रत्न और गहनों का व्यापार पश्चिम एशिया और अफ्रीकी देशों तक किया जाता था। यह बंदरगाह शहर हड़प्पा शहरों और सौराष्ट्र प्रायद्वीप के बीच व्यापार मार्ग पर स्थित था, जिससे इसका व्यापारिक महत्व और भी बढ़ गया। लोथल की पहचान एक फलते-फूलते व्यापार केंद्र के रूप में होती है, जो सिंधु घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण शहरों में से एक था।

गुजरात के लोथल का महत्व: सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ा बंदरगाह शहर
https://thenationtimes.in/wp-content/uploads/2024/10/image-747.png

लोथल का नाम और उसकी खोज

“लोथल” का अर्थ गुजराती में ‘मृतकों का टीला’ है, जो कि मोहन जोदड़ो के समान ही है। इसकी खोज भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने 1947 के बाद की। प्रसिद्ध पुरातत्वविद एस.आर. राव के नेतृत्व में 1955 से 1960 के बीच लोथल की खुदाई की गई। इस दौरान कई महत्वपूर्ण संरचनाएं, जैसे बंदरगाह, बस्ती और बाजार का पता लगाया गया। यह स्थान प्राचीन भारतीय सभ्यता के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ बन गया है।

समुद्री धरोहर का प्रमाण

लोथल की खुदाई में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी ने समुद्री माइक्रोफॉसिल, नमक, जिप्सम, और क्रिस्टल की खोज की, जो दर्शाता है कि यह निश्चित रूप से एक बंदरगाह था। बाद की खुदाई में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने टीले, बस्ती, और बाजार का पता लगाया, जो इस बात का सबूत है कि लोथल उस समय एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र रहा होगा। यहां चारों ओर विशाल ईंटों की दीवार भी थी, जो संभावित बाढ़ से बचाव के लिए बनाई गई थी।

एनएमएचसी का विकास

हाल ही में केंद्र सरकार ने लोथल में एनएमएचसी के विकास की योजना को मंजूरी दी है। यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। इस परियोजना के विकास से लगभग 22,000 नौकरियों की सृजन होने की उम्मीद है। एनएमएचसी का उद्देश्य स्थानीय समुदायों, पर्यटकों, शोधकर्ताओं और व्यवसायों को सहायता प्रदान करना है।

image 749

निर्माण की योजना

एनएमएचसी की निर्माण योजना प्रसिद्ध आर्किटेक्ट फर्म हफीज कॉन्ट्रैक्टर ने तैयार की है। पहले चरण में एक संग्रहालय स्थापित किया जाएगा, जिसमें छह दीर्घाएं होंगी। दूसरे चरण में तटीय राज्यों के मंडप, आतिथ्य क्षेत्र, मनोरंजन केंद्र, समुद्री संस्थान, छात्रावास, और चार थीम आधारित पार्क बनाए जाएंगे। यह सभी सुविधाएं लोथल को एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बनाने में सहायक होंगी।

image 750

विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता

लोथल को अप्रैल 2014 में यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट के तौर पर नामित किया गया। यह भारतीय संस्कृति और इतिहास का अनूठा प्रतीक है, और इसकी तुलना दुनिया के अन्य प्राचीन बंदरगाहों से की जा सकती है। अगर इसे अन्य प्राचीन बंदरगाहों से तुलना करें तो इसकी स्थिति जेल हा (पेरू), ओस्टिया (रोम का बंदरगाह), कार्थेज (इटली में ट्यूनिस का बंदरगाह), चीन में हेपु, मिस्र में कैनोपस, इजरायल में जाफा, मेसोपोटामिया में उर और वियतनाम में हनोई के बराबर है।

गुजरात का लोथल न केवल एक पुरातात्विक स्थल है, बल्कि यह हमारी सभ्यता, संस्कृति और व्यापार के विकास का महत्वपूर्ण गवाह भी है। एनएमएचसी के विकास से न केवल लोथल का महत्व बढ़ेगा, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी बनेगा। यह कदम न केवल स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करेगा, बल्कि भारतीय संस्कृति और इतिहास को भी पुनर्जीवित करेगा। लोथल का यह ऐतिहासिक धरोहर हमें यह सिखाता है कि कैसे प्राचीन भारतीय सभ्यता ने विश्व के अन्य हिस्सों के साथ व्यापार और संस्कृति का आदान-प्रदान किया, और यह आज भी हमारी पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

गुजरात के लोथल का महत्व: सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ा बंदरगाह शहरhttp://गुजरात के लोथल का महत्व: सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ा बंदरगाह शहर

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here