भारतीय आयुर्वेद में गिलोय (Tinospora cordifolia) एक महत्वपूर्ण औषधि मानी जाती है। इसे “दवाइयों का बाप” कहा जाता है, और इसके अनेक स्वास्थ्य लाभों के कारण यह सदियों से भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। गिलोय की बेल मुख्यतः नीम के पेड़ पर चढ़ती है और इसे नीम गिलोय के नाम से भी जाना जाता है। इसके पत्ते पान के पत्तों जैसे बड़े और हरे होते हैं, और यह हर मौसम में हरी रहने वाली बेल है।
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गिलोय के स्वास्थ्य लाभ
गिलोय में कई प्रकार के पोषक तत्व होते हैं, जो इसे कई बीमारियों के इलाज में मददगार बनाते हैं। आयुर्वेदिक डॉक्टर पिंटू भारती के अनुसार, गिलोय में टीनोस्पोरिन, टीनोस्पोरिक एसिड, आयरन, पामेरियन, फास्फोरस, कॉपर, कैल्शियम और जिंक जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह औषधि न केवल रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है, बल्कि इसके कई अन्य स्वास्थ्य लाभ भी हैं:
1. इम्यूनिटी बूस्टर
गिलोय का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है। कोविड-19 के समय में इसकी मांग बहुत बढ़ गई थी, क्योंकि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक है। गिलोय का जूस पीने से शरीर की इम्यूनिटी में सुधार होता है, जिससे मौसमी बुखार, सर्दी और अन्य संक्रमणों से बचाव होता है।
2. बुखार और डेंगू का इलाज
गिलोय के एंटीपायरेटिक गुण इसे बुखार के उपचार में कारगर बनाते हैं। यह डेंगू बुखार के दौरान भी फायदेमंद होती है, क्योंकि यह बुखार को कम करने में मदद करती है। इसके अलावा, गले में दर्द और खराश को ठीक करने के लिए भी गिलोय का उपयोग किया जा सकता है।
3. डायबिटीज में मददगार
गिलोय का जूस पीने से रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित होता है। यह इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम करने में भी मदद करती है, जिससे डायबिटीज के मरीजों को इसके सेवन से विशेष लाभ होता है। गिलोय का नियमित सेवन रक्त शर्करा के स्तर को संतुलित रखने में मदद करता है।
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4. लिवर टॉनिक
गिलोय को एक लिवर टॉनिक के रूप में भी जाना जाता है। यह पीलिया, गठिया, कब्ज, एसिडिटी, और अपच जैसी समस्याओं के लिए बेहद फायदेमंद है। इसके सेवन से लिवर के स्वास्थ्य में सुधार होता है और यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
5. त्वचा और सौंदर्य में सुधार
गिलोय के रस में मौजूद पोषक तत्व त्वचा के विकारों को ठीक करने और उसे चमकदार बनाने में सहायक होते हैं। यह मुंहासों, दाग-धब्बों और अन्य त्वचा संबंधी समस्याओं के उपचार में भी कारगर है। इसके सेवन से त्वचा को न केवल चमक मिलती है, बल्कि यह स्वस्थ भी बनती है।
गिलोय का धार्मिक महत्व
गिलोय का न केवल औषधीय महत्व है, बल्कि इसका धार्मिक महत्व भी है। भारतीय परंपरा में गिलोय को अमरता का प्रतीक माना जाता है। इसे विशेष रूप से भगवान विष्णु और महादेव से जोड़ा जाता है। कई स्थानों पर इसे पूजा जाता है और इसे पवित्र पौधा माना जाता है।
विशेष अवसरों पर, जैसे नवरात्रि और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान, गिलोय को घरों में लगाने का प्रचलन है। इससे वातावरण में सकारात्मकता और शुद्धिकरण का प्रभाव बना रहता है।
गिलोय का सेवन कैसे करें
गिलोय का सेवन कई तरीकों से किया जा सकता है:
- गिलोय का जूस: ताजा गिलोय की बेल से जूस निकालकर पीना सबसे प्रभावी होता है। इसे रोजाना सुबह खाली पेट पीना लाभदायक है।
- गिलोय चूर्ण: गिलोय को सुखाकर उसका चूर्ण बनाया जा सकता है। इस चूर्ण को गर्म पानी या दूध के साथ सेवन किया जा सकता है।
- गिलोय की काढ़ा: गिलोय की पत्तियों को उबालकर उसका काढ़ा बनाया जा सकता है। यह स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है।
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गिलोय एक अद्भुत औषधि है जो स्वास्थ्य और आध्यात्मिकता दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अनेक लाभ इसे आयुर्वेदिक चिकित्सा का एक अनिवार्य हिस्सा बनाते हैं। चाहे वह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की बात हो या बुखार और अन्य बीमारियों के उपचार की, गिलोय हर किसी के लिए एक बेहतरीन विकल्प है।
इसलिए, गिलोय को अपने जीवन में शामिल करने से न केवल आप अपने स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं, बल्कि इसे धार्मिक दृष्टिकोण से भी अपने जीवन में शामिल कर सकते हैं। गिलोय का यह छोटा सा पत्ता वास्तव में “दवाइयों का बाप” है, जो स्वास्थ्य और कल्याण का एक अमूल्य स्रोत है।