बेटी के खुले बाल होने पर गर्मी मम्मी को क्यों लगती है !
बच्चों से मां का अटूट रिश्ता होता है।
बच्चों से मां का अटूट रिश्ता होता है। दोनों में भावनाओं के साथ खून का रिश्ता होता है। लेकिन खून का रिश्ता होने पर ऐसा तो नहीं होता कि भूख मां को लगे और बेटी खाना खाए। या फिर बुखार बेटी को हो और दवा मां खाए। ऐसा नहीं होता। लेकिन ऐसा क्यों होता है कि बाल बेटी के खुले हों और गर्मी मां को लगना शुरू हो जाती है। मॉडर्न युग में फिलहाल तो बाल खुले रखने की परंपरा ही शुरू हो गई है। लेकिन अगर बात सिर्फ 10 से 15 साल पीछे की करें तो बिल्कुल यही होता था। बेटी ने जैसे ही बाल खोल कर जुल्फें उड़ाने का प्रयास किया और मम्मी को गर्मी लगना शुरू हुआ।
बेटियों के बाल बंधवाने के बहाने बालों के बांध ले, तुझे देखकर मुझे गर्मी लग रही है
लंबे बालों के लिए चोटी बनाकर रखना जरूरी है
बालों को नजर लग जाएगी, इन्हें बांध ले
तुझ पर चोटी ही अच्छी लगती है
लड़की के खुले बाल मायके वालों पर भारी होते हैं
खुले बालों से क्या होता है
खुले बालों में अधिक दिखती हैं सुंदर
खूबसूरती बढ़ानें में बालों का खास महत्व होता है। काले और घने बाल सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। अधिकतर लेखकों और शायरों ने भी चेहरे पर बिखरे काले बालों को भी आकर्षण का केंद्र मानते हुए रचनाएं की है। ऐसे में महिलाएं भी यही मानती हैं। वहीं किसी भी बेटी की मां को लगता है कि कोई भी उनकी बेटी से आकर्षित न हो ताकि उसके चरित्र पर उंगली न उठाई जा सके। वह नहीं चाहती कि खुले बाल रखकर उनकी बेटी किसी को आकर्षित करे।
नकारात्मक शक्तियों के आकर्षित होने का डर
बहुत से लोगों का मानना है कि खुले बालों से नकारात्मक शक्तियां आकर्षित होती हैं। दरअसल बालों से कई तरह की तंत्र क्रियाएं होती हैं। अगर बाल खुलें होंगे तो नकारात्मक शक्तियां जल्द ही आकर्षित हो जाती हैं। ऐसे में महिलाओं और लड़कियों को खुले बाल नहीं रखने के लिए कहा जाता है। वहीं इस बात से प्रेरित होकर औरतें घर में भी खुले बाल नहीं रखती हैं। बहुत सी महिलाओं का मानना है कि खुले बाल रखने से कोई भी स्त्री नकारात्मक शक्तियों और तंत्र क्रिया का शिकार हो सकती है।
खुले बाल माने जाते हैं अमंगलकारी
हिंदू शास्त्रों में खुले बालों को अमंगलकारी माना गया है। धर्म गुरुओं का भी मानना है कि खुले और उलझे बाल अमंगलकारी होते हैं। ऐसे में ही बहुत से मंदिरों में खुले बालों के साथ महिलाओं का प्रवेश भी वर्जित है। हिंदू पौराणिक कथा रामचरितमानस के अनुसार माता कैकेई भी राम को राजपाठ सौंपने से नाराज होकर खुले बालों में ही सामने आई थी। उन्होंने खुले बालों में ही रोना शुरू कर दिया। वह बालों को खोलकर अपने मन की स्थिति की गंभीरता को दर्शाने का प्रयास करती हैं। ऐसा भी माना जाता है कि शोक के समय बालों को खोलकर रखा जाता है।