सेंसिटिव , हर इंसान की अपनी विशेषताएँ होती हैं, और इनमें से एक है संवेदनशीलता। कुछ लोग छोटे-छोटे मामलों को गंभीरता से लेते हैं, जबकि अन्य हंसी-मजाक में ही समय बिताते हैं। जब किसी व्यक्ति की संवेदनशीलता हद से ज्यादा बढ़ जाती है, तो यह उसकी जिंदगी को प्रभावित कर सकती है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अत्यधिक सेंसिटिव होना वास्तव में एक मानसिक समस्या है? चलिए, इसे समझने के लिए विशेषज्ञ से जानकारी लेते हैं।
सेंसिटिविटी का स्वरूप
डॉ. राजीव मेहता, सीनियर साइकेट्रिस्ट, सर गंगाराम हॉस्पिटल, के अनुसार, अधिक संवेदनशीलता एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है, लेकिन जब यह किसी व्यक्ति की सामाजिक और पेशेवर जिंदगी में समस्याएं पैदा करने लगे, तो इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। ऐसा व्यक्ति हर चीज को गहराई से सोचता है और छोटी-छोटी बातों पर प्रतिक्रिया देने लगता है।
सेंसिटिविटी के कारण
1. पारिवारिक पृष्ठभूमि
व्यक्ति की संवेदनशीलता उसके पारिवारिक वातावरण पर निर्भर करती है। अगर कोई बच्चा ऐसे परिवार में बड़ा हुआ है जहां संवाद की कमी है या नकारात्मक बातचीत होती है, तो उसकी संवेदनशीलता बढ़ सकती है। ऐसे वातावरण में पले-बढ़े लोग आमतौर पर अपने भावनात्मक प्रतिक्रियाओं के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
2. तनाव और चिंता
तनाव एक प्रमुख कारण है जो किसी व्यक्ति की संवेदनशीलता को बढ़ा सकता है। जब कोई व्यक्ति किसी समस्या के बारे में बार-बार सोचता है या मानसिक दबाव में होता है, तो वह अधिक संवेदनशील हो जाता है। ऐसे में उसकी सोचने की क्षमता प्रभावित होती है और वह छोटे मुद्दों को भी बड़ा बना देता है।
3. शिक्षा और ज्ञान
दिलचस्प बात यह है कि उच्च शिक्षित लोग भी अधिक संवेदनशील हो सकते हैं। उनका ज्ञान और दृष्टिकोण उन्हें किसी विषय को कई दृष्टिकोणों से देखने की क्षमता देता है, लेकिन यह भी सच है कि कभी-कभी इस ज्ञान का बोझ उनकी संवेदनशीलता को बढ़ा सकता है। जब व्यक्ति किसी उच्च पद पर होता है, तो उस पर परिणाम देने की जिम्मेदारी होती है, जिससे उसकी संवेदनशीलता और भी बढ़ जाती है।
4. प्यार और देखभाल
बचपन में अत्यधिक प्यार और देखभाल भी एक व्यक्ति की संवेदनशीलता को बढ़ा सकती है। ऐसे बच्चे बड़े होकर भावनात्मक रूप से अधिक संवेदनशील हो जाते हैं और अपनी व्यक्तिगत और पेशेवर जिंदगी में कई समस्याओं का सामना कर सकते हैं।
सेंसिटिविटी के प्रभाव
जब कोई व्यक्ति अत्यधिक संवेदनशील हो जाता है, तो यह कई प्रकार की समस्याओं को जन्म दे सकता है:
1. ओवरथिंकिंग
अति संवेदनशील लोग अक्सर ओवर थिंकर बन जाते हैं। वे हर बात को सोचने में समय लगाते हैं, जिससे उनकी समस्याएं बढ़ जाती हैं। इसके परिणामस्वरूप, वे मानसिक तनाव का सामना कर सकते हैं।
2. सामाजिक संबंध
इस प्रकार के लोग अक्सर अपने सामाजिक संबंधों में भी मुश्किलों का सामना करते हैं। उनकी संवेदनशीलता उन्हें दोस्तों और परिवार के साथ बातचीत में संकोचित बना सकती है, जिससे उनके रिश्तों में दूरियाँ आ सकती हैं।
3. पेशेवर चुनौतियाँ
कार्यस्थल पर, अत्यधिक संवेदनशीलता किसी व्यक्ति को निर्णय लेने में कठिनाई पैदा कर सकती है। जब वह छोटे मुद्दों पर भी अधिक चिंता करता है, तो यह उसकी पेशेवर जिंदगी को प्रभावित कर सकता है।
कब करें डॉक्टर से संपर्क?
अगर किसी व्यक्ति को अपनी संवेदनशीलता के कारण समस्याएं हो रही हैं, तो उसे चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। एक विशेषज्ञ की सलाह से व्यक्ति अपनी स्थिति को बेहतर समझ सकता है और उससे निपटने के उपाय पा सकता है। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के पास ऐसे मामलों के लिए कई ट्रीटमेंट विकल्प उपलब्ध होते हैं, जैसे कि काउंसलिंग और थेरपी।
हालांकि उच्च संवेदनशीलता एक स्वाभाविक स्वभाव है, लेकिन जब यह जीवन में बाधा डालने लगती है, तो इसे समस्या के रूप में देखा जाना चाहिए। इसकी जड़ें पारिवारिक वातावरण, तनाव, शिक्षा और शुरुआती प्यार में होती हैं। यदि आपको या आपके आस-पास किसी को इस स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, तो चिकित्सकीय सहायता लेना सही रहेगा। संवेदनशीलता को समझना और इसे नियंत्रित करना, स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने के लिए आवश्यक है।
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