कोलकाता से 24 घंटे परगना: कार्यालयों में BJP कार्यकर्ता

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आरोप: TMC नेताओं ने घरों को जला दिया; दफ्तरों में शरण लें, ताकि जान बची रहे

कोलकाता और 24 परगना में राजनीतिक तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। भाजपा और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के बीच टकराव तेज हो गया है। इस बहस का सबसे बड़ा नुकसान भाजपा कार्यकर्ताओं को उठाना पड़ा है, जिन्हें बचने के लिए कार्यालयों में शरण लेनी पड़ी है। TMC नेता भाजपा कार्यकर्ताओं के घरों को जला रहे हैं और कोई उपाय नहीं किया जा रहा है।

राजनीतिक तनाव और सुरक्षा का संकट

पश्चिम बंगाल में राजनीतिक उथल-पुथल कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाल के दिनों में हालात और भी बिगड़ गए हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्हें लगातार TMC कार्यकर्ताओं और नेताओं से धमकियां मिल रही हैं। इस कारण, कई भाजपा कार्यकर्ता अपने घरों को छोड़कर पार्टी दफ्तरों में छिपने को मजबूर हो गए हैं। उनका कहना है कि वे अपनी जान बचाने के लिए दफ्तरों में रह रहे हैं, क्योंकि वहां कम से कम कुछ सुरक्षा है।

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भाजपा कार्यकर्ताओं की दर्दनाक कहानी

भाजपा कार्यकर्ताओं की स्थिति बेहद दयनीय है। 24-परगना के एक भाजपा कार्यकर्ता ने कहा, “मेरे घर को TMC कार्यकर्ताओं ने जला दिया। मेरी पत्नी और बच्चों को मैंने रिश्तेदारों के यहां भेज दिया है और खुद पार्टी दफ्तर में रह रहा हूं। हम यहां न तो ठीक से खा पा रहे हैं, न ही सो पा रहे हैं, लेकिन कम से कम हमारी जान सुरक्षित है।”

TMC पर आरोप

भाजपा ने TMC पर गंभीर आरोप लगाए हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि TMC जानबूझकर उनके कार्यकर्ताओं को निशाना बना रही है ताकि वे डरकर भाग जाएं और पार्टी कमजोर हो जाए। उन्होंने कहा कि पुलिस और प्रशासन भी इस मामले में निष्क्रिय है और TMC के दबाव में काम कर रही है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “हमने कई बार पुलिस से मदद मांगी, लेकिन हमें कोई मदद नहीं मिली। TMC सरकार के तहत पुलिस भी पक्षपात कर रही है।”

TMC का पक्ष

वहीं, TMC ने इन दावा को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। TMC के नेताओं का कहना है कि ये सब एक राजनीतिक साजिश है जिसका उद्देश्य राज्य में अस्थिरता पैदा करना है। उनका कहना था कि भाजपा पहले हिंसा को बढ़ावा देती थी और अब पीड़ित की तरह दिखती है। “हम हिंसा के खिलाफ हैं और हमने कभी भी किसी के घर जलाने का समर्थन नहीं किया,” एक TMC प्रवक्ता ने कहा। ये सब भाजपा का प्रचार है।”

राजनीतिक विश्लेषकों की राय

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बंगाल की राजनीति में हिंसा का पुराना इतिहास है और यह किसी एक पार्टी तक सीमित नहीं है। भाजपा और TMC दोनों ही पार्टियों ने समय-समय पर एक-दूसरे पर हिंसा के आरोप लगाए हैं। विश्लेषकों का कहना है कि चुनावी राजनीति में जब भी किसी पार्टी को अपनी स्थिति कमजोर लगती है, तो वह इस तरह की रणनीतियों का सहारा लेती है।

समाधान खोजने का प्रयास

इस राजनीतिक हिंसा और तनाव का समाधान निकालना अत्यंत आवश्यक है। राजनीतिक पार्टियों को चाहिए कि वे अपने कार्यकर्ताओं को संयम और धैर्य का पाठ पढ़ाएं। प्रशासन को निष्पक्ष होकर काम करना चाहिए और किसी भी पार्टी के दबाव में आए बिना कानून व्यवस्था को बनाए रखना चाहिए।

कोलकाता और 24 परगना में भाजपा कार्यकर्ताओं की स्थिति बहुत चिंताजनक है। कितनी भी बहस हो, यहाँ के लोग भय और असुरक्षा में जी रहे हैं। जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और राजनीतिक दल शांतिपूर्ण तरीके से अपने मतभेदों को हल करने की कोशिश करें। ताकि राज्य में शांति और स्थिरता कायम रहे, प्रशासन और पुलिस को निष्पक्ष होकर अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।

इस पूरे मुद्दे पर जनता का विश्वास बहाल करना ही सबसे बड़ी चुनौती है और इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रशासनिक तत्परता दोनों की आवश्यकता है। जनता उम्मीद करती है कि उनके प्रतिनिधि उनके हितों का ध्यान रखेंगे और उन्हें सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराएंगे।

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