हकृवि द्वारा आयोजित कृषि मेला (खरीफ) का शुभांरभ
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में दो दिवसीय कृषि मेला (खरीफ) का शुभारंभ हुआ। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने बतौर मुख्य अतिथि मेले का उद्घाटन किया। इस वर्ष मेले का थीम ‘कृषि में उद्यमिता को बढ़ावा’ रखा गया है।
कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने कहा कि कृषि उद्यमिता, कृषि क्षेत्र में नया व्यवसाय शुरू करने की एक प्रक्रिया है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में कृषि उद्यमिता कारगर सिद्ध हो सकती है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में युवाओं के लिए उद्यमिता की अपार संभावनाएं हैं। किसान खेतीबाड़ी के साथ-साथ कृषि उद्यमिता को अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर सकते हैं। कृषि क्षेत्र में मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, वर्मी कम्पोस्टिंग, सब्जी उत्पादन, बागवानी, चारा उत्पादन, साइलेज मेकिंग, नर्सरी, बीज उत्पादन, मछली पालन एवं बेकरी में हकृवि से प्रशिक्षण लेकर युवा किसान स्वरोजगार स्थापित कर रहे हैं। उन्होंने अधिक मुनाफा कमाने के लिए किसानों से उन्नत खेती के तरीके अपनाने के साथ-साथ उत्पाद का प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन करने के अलावा सर्विसिंग, पैकजिंग व ब्रांडिग पर भी ध्यान देने का आह्वान किया।
कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय में स्थापित एग्री-बिजनेस इंक्यूबेशन सेंटर विद्यार्थियों, उद्यमियों, किसानों तथा महिलाओं को कृषि संबंधी नए आइडिया पर स्टार्टअप के लिए 4 से 25 लाख रुपए तक की अनुदान राशि प्रदान करता है। हकृवि के एबिक द्वारा अब तक 250 इंक्यूबेटस को प्रशिक्षण व सहयोग दिया जा चुका है। इसके तहत 65 बेस्ट इंक्यूबेटस को स्टार्टअप करने के लिए 8 करोड़ रुपये से अधिक की ग्रांट दे चुका है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के एग्री बिजनेस इंक्यूबेशन सेंटर का मकसद युवाओं को उद्यमिता की तरफ आकर्षित करना है। उन्होंने बताया कि इस सेंटर के माध्यम से प्रशिक्षण एवं अनुदान प्राप्त करके युवाओं ने ना केवल स्वयं का रोजगार स्थापित किया है बल्कि अनेक बेरोजगारों को रोजगार भी उपलब्ध करवाया है।
किसानों को कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी करने एवं कृषि लागत में कमी लाने के लिए आधुनिक कृषि तकनीकों का उपयोग करना चाहिए। किसान उन्नत किस्म के बीज, सूक्ष्म सिंचाई तथा नवीनतम कृषि उपकरणों का प्रयोग करके अपने उत्पादन में इजाफा कर सकते हैं। मृदा स्वास्थ्य सुधार के लिए मिट्टी की जांच पर आधारित पोषक तत्व डालना व ढेंचा की फसल को हरी खाद के रूप में लगाना तथा मृदा में जैविक खाद का इस्तेमाल व सिफारिश किए गए फसल चक्र को अपनाना जरूरी है। मुख्यातिथि ने कृषि मेला में महिलाओं की अधिक भागीदारी पर खुशी जताई। साथ ही कहा कि वर्तमान समय में कृषि क्षेत्र के अंदर महिलाओं की भूमिका दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। विश्वविद्यालय ने शिक्षा, शोध, विस्तार सहित विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं।
उद्यमी किसानों की स्टाल बनी आकर्षण का केन्द्र, कुलपति ने किया अवलोकन
किसानों को नवीनतम तकनीकों, उन्नत किस्म के बीजों एवं कृषि उपकरणों की जानकारी देने एवं खरीद करने के लिए सरकारी एवं निजी क्षेत्र की कम्पनियों द्वारा 258 स्टालें लगाई गई। मेले में उद्यमी किसानों द्वारा भी 23 स्टालें लगाई गई। कुलपति ने विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों द्वारा लगाई गई स्टालों एवं निजी क्षेत्र की कंपनियां की स्टालों का अवलोकन किया। इसके अलावा उन्होंने तीन पुस्तकों का विमोचन करते हुए संबंधित विभागों के वैज्ञानिकों को बधाई दी। इस प्रदर्शनी में कृषि क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं के हल के लिए कृषक-वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम भी रखा गया, जिसमें कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों ने फसलों से संबंधित समस्याओं के हल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से जाने।
पहले दिन लगभग 46 हजार किसानों ने की शिरकत, 35 लाख के बीज व अन्य उत्पाद बिके
कार्यक्रम के दौरान मुख्यातिथि ने कृषि एवं अन्य क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया। कृषि मेला खरीफ में पहले दिन हरियाणा व अन्य राज्यों से 46 हजार किसानों ने भाग लिया। विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. बलवान सिंह मंडल ने मेले में आए हुए सभी किसानों का स्वागत किया अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने मेेले में आए हुए सभी का धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया। मंच का संचालन डॉ. भूपेन्द्र ने किया।
कुलपति ने नए उन्नत बीजों, कृषि विधियों, सिंचाई यंत्रों, कृषि मशीनरी आदि की जानकारी हासिल की। मेले में आगामी खरीफ फसलों के बीजों के लिए किसानों में भारी उत्साह देखा गया जहां किसानों ने खरीफ फसलों की उन्नत किस्मों के लगभग 31 लाख 26 हजार के बीज खरीदे। मेले में 25 हजार रूपए के कृषि साहित्य की बिक्री हुई। सब्जी व बागवानी फसलों के बीजों की 2 लाख 67 हजार रूपए की बिक्री हुई। मेले में 52 हजार 800 रूपए के टिशु कल्चर के पौधे बिके। किसानों ने मेले में मिट्टी व पानी जांच सेवा का लाभ उठाते हुए मिट्टी व पानी के 200 नमूनों की जांच करवाई। मेले में लगभग 10 हजार रूपए के जैव उर्वरक की बिक्री हुई। किसानों ने विश्वविद्यालय के अनुसंधान फार्म पर वैज्ञानिकों द्वारा उगाई गई फसलें भी देखीं तथा उनमें प्रयोग की गई प्रौद्योगिकी के साथ-साथ जैविक खेती बारे जानकारी हासिल की।