कुमारी सैलजा की खामोशी: हरियाणा कांग्रेस की धड़कनें बढ़ा रही हैं

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कुमारी सैलजा की खामोशी: हरियाणा कांग्रेस की धड़कनें बढ़ा रही हैं
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हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तैयारी जोर पकड़ रही है, लेकिन कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी सैलजा की मौन स्थिति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह चुनावी मौसम जहां सभी राजनीतिक दल अपने-अपने प्रचार अभियान में जुटे हैं, वहीं सैलजा की चुप्पी ने हरियाणा कांग्रेस की गुटबाजी और आंतरिक खींचतान की कहानी को एक बार फिर से उजागर किया है।

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कुमारी सैलजा: कांग्रेस की प्रमुख महिला नेता

कुमारी सैलजा, जो हरियाणा कांग्रेस की प्रमुख महिला और दलित नेता मानी जाती हैं, की मौन स्थिति को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं। उनके ट्विटर अकाउंट पर राहुल गांधी के साथ एक तस्वीर पिन की गई है, जो यह दर्शाती है कि वे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ खड़ी हैं। लेकिन उनकी इस तस्वीर के नीचे सन्नाटा है। सैलजा का सोशल मीडिया अकाउंट, जिसमें पहले चुनावी पोस्ट और गतिविधियों की भरमार होती थी, अब सूना पड़ा है।

चुनावी माहौल और सैलजा की चुप्पी

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हरियाणा में 5 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर सभी दल सक्रिय हैं। बीजेपी, जेजेपी, आप और कांग्रेस सभी अपने-अपने तरीके से मतदाताओं को आकर्षित करने में जुटे हैं। इस दौरान कुमारी सैलजा का मौन रहना एक अनसुलझा पहेली बन गया है। 20 सितंबर को उन्होंने एक महत्वपूर्ण घटना का जिक्र करते हुए एक पोस्ट किया था, जिसमें कालका से विधायक प्रदीप चौधरी के काफिले पर गोली चलाने की घटना का उल्लेख किया गया था। इसके बाद से वे किसी भी सार्वजनिक मंच पर नजर नहीं आईं।

गुटबाजी की समस्या

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कांग्रेस पार्टी हरियाणा में गुटबाजी की समस्या से जूझ रही है। कुमारी सैलजा की मौन स्थिति ने इस बात की ओर इशारा किया है कि पार्टी में अंदरूनी मतभेद गहरे हो सकते हैं। पार्टी आलाकमान की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि हरियाणा में चुनावी परिदृश्य के बीच सैलजा का न होना एक संकेत है कि कहीं न कहीं पार्टी में कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

सैलजा ने आखिरी बार 11 सितंबर को नारायणगढ़ विधानसभा क्षेत्र में प्रचार करते हुए नजर आई थीं। इसके बाद से वे दिल्ली में अपने आवास पर रहीं और पार्टी के घोषणापत्र जारी करने के मौके पर भी वहां मौजूद नहीं थीं। इस स्थिति ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भी चिंता की लहर दौड़ा दी है।

सैलजा की स्थिति पर विचार

कुमारी सैलजा की स्थिति को लेकर कई संभावनाएं हैं। क्या वे पार्टी के भीतर चल रही गुटबाजी से परेशान हैं? या फिर वे किसी रणनीतिक योजना का हिस्सा हैं जो बाद में सामने आएगी? इन सवालों के जवाब ढूंढना कठिन है, लेकिन यह स्पष्ट है कि सैलजा की खामोशी कांग्रेस की स्थिति को और कमजोर कर सकती है।

मतदाता पर प्रभाव

हरियाणा के मतदाता अब इस खामोशी को लेकर क्या सोचते हैं? क्या वे समझते हैं कि पार्टी की प्रमुख महिला नेता मैदान से गायब हैं, जबकि चुनावी शोरगुल जारी है? यह स्थिति मतदाता के मन में कांग्रेस के प्रति संदेह पैदा कर सकती है। यदि सैलजा जल्द ही सक्रिय नहीं होती हैं, तो यह कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है।

हरियाणा विधानसभा चुनावों के चलते कुमारी सैलजा की खामोशी ने पार्टी के भीतर और बाहर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह समय है जब सैलजा को अपनी आवाज़ उठानी चाहिए और पार्टी को एकजुट करने की दिशा में कदम उठाने चाहिए। चुनावों में सफलता के लिए जरूरी है कि पार्टी के सभी नेता एकजुट रहें और एक सामूहिक प्रयास करें। वरना, हरियाणा कांग्रेस की धड़कनें और भी बढ़ सकती हैं।

हरियाणा की राजनीति में सैलजा की स्थिति और उनकी मौनता पर नज़र रखना आवश्यक है। आने वाले समय में उनका निर्णय ही यह तय करेगा कि कांग्रेस का भविष्य क्या होगा।

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