बॉलीवुड की दुनिया में कई अभिनेता आए और गए, लेकिन कुछ ऐसे सितारे होते हैं जो अपनी पहचान छोड़ जाते हैं। उनमें से एक थे दिवंगत ऋषि कपूर, जिन्हें प्यार से ‘चिंटू जी’ के नाम से जाना जाता था। अपने समय के रोमांस के बादशाह, ऋषि कपूर ने अपने शानदार करियर में अनेक यादगार फिल्मों में काम किया। उनके चुलबुले और रोमांटिक किरदारों ने लाखों दिलों को जीत लिया, लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब उन्होंने अचानक इंडस्ट्री को अलविदा कह दिया।
बॉबी से सुपरस्टारडम की शुरुआत
ऋषि कपूर का फिल्मी करियर उनके पिता, राज कपूर द्वारा निर्देशित फिल्म ‘बॉबी’ (1973) से शुरू हुआ। यह फिल्म न सिर्फ हिट साबित हुई, बल्कि ऋषि कपूर को बॉलीवुड का चहेता बना दिया। उनकी मासूमियत, आकर्षक व्यक्तित्व और अद्वितीय अभिनय ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया। ‘बॉबी’ के बाद, उन्होंने कई रोमांटिक फिल्मों में काम किया और इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाई।
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‘बॉबी’ की सफलता पर ऋषि कपूर का संघर्ष
हालांकि, ऋषि कपूर ने खुद स्वीकार किया था कि ‘बॉबी’ की सफलता के बाद, उन्हें इसके बराबर सफलता पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। 2011 में फर्स्टपोस्ट के साथ एक इंटरव्यू में ऋषि ने बताया, “मुझे अपने जीवन में कोई पछतावा नहीं है। भले ही मेरा नाम टॉप नामों में नहीं था, मैंने स्टारडम का इंतजार नहीं किया। ‘बॉबी’ तुरंत हिट हो गई थी, लेकिन उसके बाद मुझे इसकी सफलता की बराबरी करने के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ा।”
25 साल का स्टारडम और उससे ऊबना
ऋषि कपूर ने 1973 से 1998 तक लगभग 25 साल एक स्टार के रूप में काम किया। इस दौर में उन्होंने 120 से ज्यादा फिल्मों में मुख्य भूमिका निभाई। उनके रोमांटिक और प्यारे किरदारों ने दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी।
लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, ऋषि कपूर को एहसास हुआ कि वह यंग स्टार्स के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था, “मेरा वजन बढ़ गया और मुझे लगा कि मैं नए सितारों के साथ कंपीट नहीं कर सकता।”
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अचानक से एक्टिंग को छोड़ना
1998 के बाद ऋषि कपूर ने अचानक एक्टिंग से दूरी बना ली। यह उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उन्होंने बताया, “मैं जिन फिल्म निर्माताओं के साथ काम करने जा रहा था, उन्हें पैसे वापस कर दिए और तीन महीने तक घर पर बैठा रहा।” इसके बाद उन्होंने निर्देशन में हाथ आजमाने का फैसला किया। उन्होंने ऐश्वर्या राय बच्चन और अक्षय खन्ना के साथ फिल्म ‘आ अब लौट चलें’ का निर्देशन किया।
हालांकि, इस बदलाव का कारण सिर्फ उनके करियर में आने वाली चुनौतियां नहीं थीं। ऋषि कपूर ने अपने इंटरव्यू में यह भी कहा कि उन्होंने खुद को स्क्रीन पर देखना छोड़ दिया था। वह कहते हैं, “मैं खुद को स्क्रीन पर देखकर शर्मिंदा महसूस करता हूं। मुझे नहीं पता कि नार्सिसिस्ट के विपरीत शब्द क्या है, लेकिन मैं अपनी फिल्में देखकर ऐसा ही महसूस करता हूं।”
बचपन और परिवार का प्रभाव
ऋषि कपूर का फिल्मी करियर बचपन से ही तय हो चुका था। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि उनके चाचा शशि कपूर ने उन्हें पहली बार अभिनेता बनने की चाहत के संकेत दिए थे। “मैं पेंसिल से अपने चेहरे पर नकली मूंछें बनाता था और आर.के. स्टूडियो के आसपास घूमता रहता था। मेरे चाचा शशि समझ गए थे कि मैं एक्टर बनना चाहता हूं।”
ऋषि कपूर के पिता, राज कपूर का भी उनके करियर में गहरा प्रभाव था। उन्होंने एक किस्सा साझा किया था जब उन्हें सीनियर कैम्ब्रिज के दौरान अंग्रेजी के एग्जाम में शून्य अंक मिले थे। इस घटना के बाद राज कपूर ने उन्हें हिम्मत न हारने और फिल्म ‘कल आज और कल’ में सहायक निर्देशक के रूप में काम करने की सलाह दी थी।
ऋषि कपूर का निर्देशन में कदम
जब ऋषि कपूर ने एक्टिंग से ब्रेक लिया, तो उन्होंने निर्देशन में अपना हाथ आजमाया। उनकी डायरेक्टोरियल डेब्यू फिल्म ‘आ अब लौट चलें’ (1999) थी। इस फिल्म में ऐश्वर्या राय बच्चन और अक्षय खन्ना मुख्य भूमिकाओं में थे। हालांकि, यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कोई खास कमाल नहीं कर पाई, लेकिन ऋषि कपूर के निर्देशन की प्रशंसा जरूर हुई।
शर्माजी नमकीन: आखिरी फिल्म और अधूरा सफर
ऋषि कपूर की आखिरी फिल्म ‘शर्माजी नमकीन’ थी, जिसमें उन्होंने एक सेवानिवृत्त व्यक्ति की भूमिका निभाई थी। यह फिल्म उनके जीवन के अंतिम दिनों की एक मार्मिक झलक पेश करती है। हालांकि, फिल्म की शूटिंग पूरी होने से पहले ही ऋषि कपूर का निधन हो गया, जिससे यह प्रोजेक्ट अधूरा रह गया। बाद में परेश रावल ने उनकी जगह लेकर इस फिल्म को पूरा किया।
ऋषि कपूर के निधन के बाद भी उनकी अंतिम फिल्म उनके चाहने वालों के लिए एक यादगार उपहार साबित हुई।
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रणबीर कपूर: ऋषि कपूर का उत्तराधिकारी
आज, ऋषि कपूर के बेटे रणबीर कपूर बॉलीवुड में अपने पिता की विरासत को सफलतापूर्वक आगे बढ़ा रहे हैं। रणबीर को उनके अलग अभिनय शैली और बेहतरीन फिल्मों के लिए सराहा जाता है। जहां ऋषि कपूर ने रोमांटिक किरदारों से दर्शकों का दिल जीता, वहीं रणबीर ने अपने अभिनय कौशल से एक नई पीढ़ी का ध्यान आकर्षित किया है।
रणबीर की सफलताओं में भी कहीं न कहीं ऋषि कपूर का योगदान झलकता है। पिता और पुत्र दोनों ने अपने-अपने दौर में इंडस्ट्री को अलग-अलग तरीके से प्रभावित किया है, लेकिन दोनों की एक चीज़ समान है – दोनों ने अपने काम के प्रति समर्पण और जुनून से दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाई।
ऋषि कपूर का जीवन और करियर बॉलीवुड के एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में याद किया जाएगा। उनकी फिल्में, उनके किरदार, और उनका निडर स्वभाव आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को नई ऊंचाइयां दीं और अपनी विरासत को रणबीर कपूर के रूप में जीवित रखा।
ऋषि कपूर का इंडस्ट्री छोड़ने का फैसला उनकी खुद की संतुष्टि और आत्मसम्मान का प्रमाण था। उन्होंने न केवल अपने काम से प्यार किया, बल्कि यह भी समझा कि कब पीछे हटना है और नए चेहरों को आगे बढ़ने का मौका देना है। यही उन्हें बॉलीवुड का सच्चा ‘रोमांस के बादशाह’ बनाता है, जो हमेशा दर्शकों के दिलों में जिंदा रहेंगे।