उज्जैन में भगवान महाकाल की निकली सावन की पहली सवारी: मनमहेश रूप की 1 झलक पाने उमड़े भक्त

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उज्जैन में भगवान महाकाल की निकली सावन की पहली सवारी: मनमहेश रूप की 1 झलक पाने उमड़े भक्त

उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर और भगवान महाकाल की सवारी। इस पवित्र दिन का विशेष महत्व है और इस वर्ष भी यह परंपरा बड़े धूमधाम से निभाई गई।

सावन मास के पहले सोमवार को महाकालेश्वर मंदिर से भगवान महाकाल की पहली सवारी निकली। इस सवारी में भक्तों की भीड़ झलक पाने के लिए सवारी मार्ग पर उमड़ी। 5 किलोमीटर लंबी इस सवारी में पुजारी शिप्रा में अभिषेक के पश्चात भगवान महाकाल की पूजा-अर्चना होगी, जो शाम 7.15 बजे मंदिर में वापस पहुंचेगी। इस बार सवारी में पहली बार दो LED रथों को शामिल किया गया है।

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राजाधिराज की सवारी, झलक पाने को आतुर प्रजा

महाकाल की सवारी में भगवान के मनमहेश रूप के दर्शन के लिए पूरे मार्ग पर आस्था का सैलाब उमड़ा है। भक्त जय श्री महाकाल का उद्घोष कर रहे हैं। सवारी मार्ग पर भक्तों का जनसैलाब इस बात का प्रमाण है कि श्रद्धालुओं के लिए महाकालेश्वर भगवान का कितना महत्व है। सावन मास में सोमवार को भगवान महाकाल की पहली सवारी निकल रही है। पांच किलोमीटर लंबे सवारी मार्ग पर तीन घंटे तक भक्ति का उल्लास छा रहा है। देशभर से हजारों श्रद्धालु सवारी मार्ग पर चांदी की पालकी में विराजित भगवान महाकाल के मनमहेश रूप की एक झलक पाने के लिए उमड़ रहे हैं।

महाकालेश्वर मंदिर से शिप्रा नदी तक

महाकालेश्वर मंदिर के सभा मंडप में पूजन के पश्चात शाम 4 बजे सवारी शुरू हुई, जो कोट मोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए शाम 5.30 बजे मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंचेगी। यहां पुजारी शिप्रा जल से भगवान महाकाल का अभिषेक कर पूजा अर्चना करेंगे। सवारी के मार्ग में भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है। सभी जय श्री महाकाल के नारे लगाते हुए सवारी का अनुसरण कर रहे थे।

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सवारी में सबसे आगे प्रतिनिधित्व करता चांदी का ध्वज

पूजन पश्चात सवारी रामानुजकोट, गणगौर दरवाजा, कार्तिक चौक, जगदीश मंदिर, ढाबारोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा होते हुए शाम 7.15 बजे पुन: मंदिर पहुंचेगी। सवारी में सबसे आगे मंदिर का प्रतिनिधित्व करता चांदी का ध्वज रहेगा। पीछे पुलिस का अश्वरोही दल, पुलिस बैंड, सशस्त्र बल की टुकड़ी शामिल होगी।

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सवारी में पहली बार LED रथों का समावेश

भगवान महाकाल की सवारी में पहली बार दो एलईडी रथों को शामिल किया गया है। रथ की विशेषता यह है कि इसमें लाइव बाक्स रहेगा, जिससे निर्बाध रूप से लाइव प्रसारण होता रहेगा। एक रथ सवारी में सबसे आगे चलेगा, दूसरा रथ पीछे रहेगा। रविवार को अत्याधुनिक रथ महाकाल मंदिर कार्यालय पहुंचे। इसके अलावा, इस बार सवारी में पहली बार जनजातीय कलाकारों का दल प्रस्तुति दे रहा है। मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव की मंशा के अनुरूप सवारी में लोककलाकारों के दल को शामिल किया जा रहा है। अब तक सवारी में केवल नौ परंपरागत भजन मंडल व झांझ डमरू दल ही शामिल होते आए हैं। सोमवार को धार का भील जनजातीय भगोरिया नृत्य दल प्रस्तुति देगा।

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सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध

करीब पांच किलो मीटर लंबे सवारी मार्ग पर पांच ड्रोन के माध्यम से निगरानी रखी जा रही है। इससे पहले सवारी मार्ग पर करीब 60 फिक्स व डोम कैमरों से नजर रखी जाती थी। ऐसा पहली बार हो रहा है, जब दोहरे सुरक्षा उपकरणों से चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जा रही है। महाकाल मंदिर के अलावा गोपाल मंदिर परिसर में भी कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है।

वाहनों की पार्किंग व्यवस्था

सवारी के दौरान वाहनों की पार्किंग के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। मन्नत गार्डन पार्किंग में 450 वाहनों की क्षमता है। वाकणकर ब्रिज के नीचे 400 वाहनों की पार्किंग व्यवस्था है। कर्कराज पार्किंग में एक हजार चार पहिया वाहनों की क्षमता है। भील समाज पार्किंग में 700 चार पहिया वाहनों की क्षमता है। कलोता समाज धर्मशाला में दो हजार दो पहिया वाहनों की क्षमता है। नृसिंहघाट पार्किंग में 250 चार पहिया वाहन रखे जा सकेंगे।

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यहां भी रख सकेंगे वाहन

उपरोक्त पार्किंग फुल होने के बाद उजड़खेडा चौराहा से मुरलीपुरा, शंकराचार्य चौराहा से वाहनों को कार्तिक मेला मैदान पार्किंग में भेजा जाएगा। बड़नगर, रतलाम, नागदा की ओर से आने वाले दर्शनार्थी अपने चार पहिया वाहन कार्तिक मेला ग्राउंड में पार्क कर सकेंगे। इसके अलावा छोटी रपट से गणगौर दरवाजा होते हुए रामानुज कोट से हरसिद्धि की पाल पार्किंग में वाहन रख सकेंगे। आगर रोड से आने वाले दर्शनार्थी अपने वाहन मकोड़िया आम चौराहा, खाक चौक, जाट धर्मशाला, पिपलीनाका, जूना सोमवारिया से होते हुए कार्तिक मेला मैदान में जाकर रख सकेंगे। मक्सी रोड की ओर से आने वाले दर्शनार्थी पांड्याखेड़ी चौराहा, पाईप फक्ट्री चौराहा, इंजीनियरिंग कॉलेज तिराहे से होते हुए हरिफाटक चौराहे के पास पार्किंग में अपने वाहन रखेंगे।

इन मार्गों को किया डायवर्ट

बड़नगर, रतलाम, नागदा मंदसौर एवं नीमच जाने वाले वाहन शांति पैलेस चौराहे से डायवर्ट रहेंगे। देवास गेट बस स्टैंड से भारी वाहन एवं बसें हरिफाटक टी एवं हरिफाटक चौराहे तरफ नहीं जा सकेंगी। चार पहिया वाहन हरिफाटक टी से बेगमबाग, कोट मोहल्ला एवं गोपाल मंदिर तरफ नहीं जा सकेंगे। चार पहिया वाहन दौलतगंज चौराहे से कोट मोहल्ला, तेलीवाड़ा चौराहे से दानीगेट तरफ, कार्तिक चौक से हरसिद्धी पाल तरफ नहीं जा सकेंगे। निर्बाध आवागमन के लिए मंदिर प्रशासन ने द्वारों को चौड़ा कर दिया है।

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महाकाल की सवारी में नवाचार

महाकाल की सवारी में इस बार नवाचार को भी विशेष स्थान दिया गया है। पहली बार दो एलईडी रथों का समावेश हुआ, जिनमें से एक रथ सवारी में सबसे आगे और दूसरा पीछे चलता है। इन रथों में लाइव बॉक्स की सुविधा है, जिससे सवारी का लाइव प्रसारण निर्बाध रूप से होता रहता है। इससे सवारी में उपस्थित न हो पाने वाले भक्त भी अपने घरों में बैठकर भगवान महाकाल की सवारी का दर्शन कर सकते हैं।

जनजातीय कलाकारों की विशेष प्रस्तुति

इस साल महाकाल की सवारी में जनजातीय कलाकारों का दल भी शामिल हुआ है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा के अनुरूप इस बार लोककलाकारों के दल को शामिल किया गया है। धार का भील जनजातीय भगोरिया नृत्य दल इस सवारी में प्रस्तुति दे रहा है। इससे सवारी में सांस्कृतिक धरोहर और परंपरा का भी सम्मिलन हुआ है, जिससे सवारी का महत्व और बढ़ गया है।

सुरक्षा के लिए आधुनिक प्रबंधन

सवारी के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए इस बार ड्रोन के माध्यम से निगरानी रखी जा रही है। पांच ड्रोन सवारी मार्ग पर चप्पे-चप्पे की निगरानी कर रहे हैं। इसके अलावा 60 फिक्स और डोम कैमरों से भी नजर रखी जा रही है। महाकाल मंदिर के अलावा गोपाल मंदिर परिसर में भी कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। इससे सवारी के दौरान किसी भी अप्रिय घटना की संभावना को न्यूनतम किया जा सके।

भक्तों की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्थाएं

महाकाल मंदिर प्रशासन ने भक्तों की सुविधा के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं। मंदिर के प्रशासनिक भवन के सामने स्थित प्रवेश द्वार को करीब तीस फीट चौड़ा किया गया है, जिससे भक्तों को निर्बाध दर्शन का लाभ मिल सके। इसके अलावा पार्किंग व्यवस्था को भी बेहतर बनाया गया है, ताकि दर्शनार्थियों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। विभिन्न स्थानों पर पार्किंग की व्यवस्था की गई है, जिसमें मन्नत गार्डन पार्किंग, वाकणकर ब्रिज के नीचे, कर्कराज पार्किंग, भील समाज पार्किंग और कलोता समाज धर्मशाला शामिल हैं।

भक्तों की अपार आस्था और उत्साह

सावन मास में भगवान महाकाल की पहली सवारी को लेकर भक्तों में अपार उत्साह और आस्था देखने को मिली। देशभर से हजारों श्रद्धालु सवारी मार्ग पर उमड़े और भगवान महाकाल के मनमहेश रूप की एक झलक पाने के लिए आतुर नजर आए। सभी ने मिलकर जय श्री महाकाल के नारे लगाए और भक्ति में लीन हो गए। सवारी के दौरान हर तरफ भक्तों का उत्साह और आस्था का अद्वितीय नजारा देखने को मिला।

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महाकाल की सवारी का ऐतिहासिक महत्व

महाकाल की सवारी का ऐतिहासिक महत्व है और इसे उज्जैन के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न अंग माना जाता है। श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को महाकाल की सवारी निकाली जाती है, जिसमें भगवान महाकाल का मनमहेश रूप में अभिषेक और पूजा-अर्चना की जाती है। इस परंपरा का पालन सदियों से हो रहा है और इसे देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु उज्जैन आते हैं। महाकाल की सवारी न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उज्जैन की सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है।

महाकाल की सवारी: आस्था, भक्ति और उल्लास का संगम

उज्जैन में भगवान महाकाल की सावन की पहली सवारी भक्ति, आस्था और उल्लास का अद्वितीय संगम है। इस सवारी में शामिल होकर भक्त भगवान महाकाल के प्रति अपनी आस्था और भक्ति का प्रदर्शन करते हैं। यह सवारी न केवल भगवान महाकाल के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह भक्तों के लिए एक अवसर भी है कि वे अपनी आस्था को और अधिक सुदृढ़ कर सकें। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी महाकाल की सवारी ने भक्तों के दिलों में एक अनोखी जगह बनाई है।

महाकाल की सवारी उज्जैन के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस सवारी के माध्यम से भगवान महाकाल का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए देशभर से हजारों श्रद्धालु उज्जैन आते हैं। इस बार की सवारी में जो नवाचार किए गए हैं, उन्होंने सवारी को और भी विशेष बना दिया है। एलईडी रथों का समावेश, जनजातीय कलाकारों की प्रस्तुति और आधुनिक सुरक्षा प्रबंधन सवारी को और अधिक भव्य और सुरक्षित बनाते हैं। महाकाल की सवारी के इस अद्भुत आयोजन ने एक बार फिर भक्तों के दिलों में महाकाल के प्रति अपार आस्था और भक्ति का संचार किया है।

मंदिर परिसर में रतलाम का बैंड प्रस्तुति देता हुआ। महाकालेश्वर मंदिर में श्रावण मास की पूर्व संध्या पर रविवार को रतलाम जिले के ताल से आए बैंड ने मंदिर परिसर में मनोहारी प्रस्तुति दी। इससे पहले भी मंदिर में देश के विभिन्न शहरों के प्रसिद्ध बैंड प्रस्तुति दे चुके हैं।

इस प्रकार, उज्जैन में भगवान महाकाल की सावन की पहली सवारी का यह उत्सव भक्ति, आस्था और उत्साह से परिपूर्ण रहा। भक्तों का उत्साह और भगवान महाकाल के प्रति उनकी आस्था इस अद्भुत सवारी को और भी विशेष बनाती है। हर वर्ष की तरह, इस बार भी महाकाल की सवारी ने भक्तों के दिलों में अनोखी जगह बनाई है।

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