ईरान की चालों में फंसा इजरायल: ऑक्‍टोपस वॉर और उसके प्रभाव

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वर्तमान में, इजरायल एक जटिल सैन्य स्थिति का सामना कर रहा है, जो न केवल उसके पड़ोसी देशों, बल्कि दूरदराज के शक्तियों के कारण भी उत्पन्न हुई है। ईरान ने अपनी रणनीतियों के माध्यम से इजरायल को एक ऐसी स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है, जहां उसे एक साथ कई मोर्चों पर युद्ध का सामना करना पड़ रहा है। इसे ‘ऑक्‍टोपस वॉर’ की संज्ञा दी गई है, जिसमें ईरान विभिन्न मोर्चों से इजरायल पर आक्रमण करवा रहा है, जिससे इजरायल की प्रतिक्रिया को कमजोर किया जा रहा है।

ईरान की मिसाइलें: इजरायल की चुनौतियां

ईरान ने हाल ही में 200 मिसाइलें दागकर इजरायल को एक गंभीर चुनौती दी। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि इजरायल तुरंत जवाबी कार्रवाई करेगा, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। हालांकि, इजरायल ने धमकियां दी हैं, लेकिन उसके आक्रमण करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि ईरान के समर्थन से इराक, यमन, लेबनान, और गाजा से लगातार इजरायल पर हमले किए जा रहे हैं।

ईरान
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8 मोर्चों पर संघर्ष

इजरायल को वर्तमान में आठ मोर्चों पर लड़ाई का सामना करना पड़ रहा है। पश्चिम में गाजा और लेबनान में हिजबुल्ला, यमन में हूथी, और इराक में ईरान के समर्थक मिलिशिया इसके मुख्य हमलावर हैं। इसके साथ ही, सीरिया से भी इजरायल पर रॉकेट बरसाए जा रहे हैं। इस स्थिति ने इजरायल को चारों खाने चित कर दिया है।

इजरायल की हवाई और ग्राउंड ऑपरेशंस के बावजूद हिजबुल्लाह के हमले लगातार जारी हैं। प्रतिदिन 100 से अधिक मिसाइलों से इजरायल पर आक्रमण हो रहा है। यहां तक कि हमास के लड़ाके इजरायल की सीमा के भीतर घुसकर आम नागरिकों पर भी हमले कर रहे हैं।

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इजरायल का सैन्य रणनीति

जब इजरायल हिजबुल्ला पर हमला करता है, तो सीरिया से रॉकेटों की बारिश शुरू हो जाती है। इस प्रकार, इजरायल को एक साथ कई मोर्चों पर युद्ध की चुनौती मिल रही है। रूस का भी इस संघर्ष में हस्तक्षेप होने का दावा किया जा रहा है, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई है। यह संकेत है कि रूस हिजबुल्ला को सैन्य सहायता प्रदान कर रहा है, जो ईरान के साथ उसकी रणनीतिक साझेदारी को दर्शाता है।

ईरान का प्रचार तंत्र

ईरान इन हमलों को प्रचारित भी कर रहा है, जिससे उसके समर्थक गुटों का मनोबल बढ़ता है। ईरानी मीडिया ने 9 अक्टूबर को दावा किया कि हिजबुल्ला इजरायली सैनिकों पर भारी पड़ रहा है। ईरान के राष्ट्रपति भी अपने बयानों के माध्यम से हिजबुल्ला और हमास के लड़ाकों को प्रोत्साहित कर रहे हैं।

इस प्रकार की स्थिति ने इजरायल को एक ऐसी जटिलता में डाल दिया है, जहां उसे अपनी सुरक्षा को बनाए रखने के लिए कई मोर्चों पर कार्रवाई करनी पड़ रही है।

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अंत में

ईरान की चालाकी और इजरायल की रणनीतिक कमजोरी इस बात का संकेत है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नया मोड़ आ रहा है। ईरान के समर्थन से मिलिशिया गुट इजरायल पर हमले कर रहे हैं, और इस स्थिति में इजरायल को न केवल अपने पड़ोसी देशों से, बल्कि उनके समर्थकों से भी निपटना पड़ रहा है।

यह स्पष्ट है कि इस संघर्ष का परिणाम न केवल इजरायल और ईरान के लिए, बल्कि समस्त मध्य पूर्व के लिए महत्वपूर्ण होगा। इसलिए, इस जटिलता में समाधान खोजना न केवल इजरायल, बल्कि सभी देशों के लिए आवश्यक हो गया है। ऐसे समय में जब दुनिया की नज़र इस संघर्ष पर है, हमें उम्मीद करनी चाहिए कि स्थिरता और शांति की दिशा में कदम बढ़ाए जाएंगे।

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