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हे हनुमान, सुन तेरे समान मेरा उपकारी देवता, मनुष्य अथवा मुनि कोई भी
शरीरधारी नहीं है। मैं तेरा प्रत्युत्तर तो क्याद करूं, मेरा मन भी तेरे
सामने नहीं हो सकता।
ये कथन स्वयं भगवान राम के हैं। अपना सर्वस्व
राम के चरणों में अर्पण कर देने वाले हनुमान को जब स्वयं राम यह कहते हैं
तो आमजन के लिए तो हनुमान का नाम ही अपने आप में समस्याओं का निदान सिद्ध
होता है।
हनुमानजी की आराधना के तीन चार मूल प्रकार प्रचलन में
हैं। हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, रामरक्षा स्रोत और सुन्द्रकाण्ड । चारों ही
आराधनाओं में सरल भाषा एवं मंत्रों में बस रामभक्त। हनुमानजी को यादभर
किया जाता है और साधकों के काम ऐसे बनते चले जाते हैं जैसे कभी बाधा आई ही
नहीं थी।
संत तुलसीदास रचित सुंदरकाण्ड में तो तकरीबन हर चौपाई में एक उपचार माना
जा सकता है। चौपाई के वाचन भर से नि:संतान को संतान, व्यापार में बाधा, नया
कार्य शुरू करना, असाध्या रोग, शत्रुओं से पीड़ा, परीक्षाओं में सफलता
जैसे काम आसानी से निकल जाते हैं। ऐसी ही कुछ चौपाइयों का उपयोग ज्योतिषीय
उपचारों के तौर पर भी किया जाता रहा है।
प्रबिसि नगर कीजे सब काजा,
हृदय राखि कोसलपुर राजा
गरल सुधा रिपु करहिं मिताई,
गोपद सिंधु अनल सितलाई
रावण की सोने की लंका में प्रवेश करने से
पूर्व महावीर अपने भगवान का स्मरण करते हैं और राम का संदेश सीता माता तक
पहुंचाने के अपने काम में न केवल सफलता अर्जित करते हैं, बल्कि सोने की
लंका को राख में तब्दील कर देते हैं। व्यातपारी व्यवसाय शुरू करने से पूर्व
इसका नियमित पाठ करे और विद्यार्थी अध्यदयन शुरू करने से पूर्व इसका
नियमित पाठ शुरू करे तो सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
दीन दयाल बिरिदु संभारी,
हरहुं नाथ मम संकट भारी
लंका में पवनसुत से मिलने पर जानकी माता ने
उन्हें श्रीराम के लिए संदेश दिया कि यद्यपि उनकी सभी कामनाएं पूर्ण हो
चुकी हैं, फिर भी दीन का दुख हरने वाले श्रीराम जानकी का भी दुख हरे।
व्यनवसाय में बाधा, शारीरिक- मानसिक कष्टी अथवा कोर्ट कचहरी के मामलों में
फंस जाने पर इस दोहे का नियमित पाठ करने पर कष्टर शीघ्र दूर होता है।
सुंदरकाण्ड की इस चौपाई में तुलसीदासजी ने जैसे संजीवनी की शक्ति भर दी हो,
उस तरह साधकों के कष्ट दूर होते हैं।
दिलाए ग्रहों की अनुकूलता
जिन जातकों की कुण्डली में गुरु खराब परिणाम दे रहा हो और गुरु
मंगल से दृष्ट हो तो ऐसे जातकों को वृद्ध हनुमान का चित्र लगाकर बजरंग बाण
का नियमित पाठ करना चाहिए। इससे गुरु की पीड़ा कम होती है। मिथुन, कन्या,
तुला, वृष, मकर और कुंभ लग्न वाले जातकों को गुरु संबंधी पीड़ा होने की
आशंका अधिक होती है।
जिन जातकों की कुण्डली में शनि खराब परिणम दे रहा हो और मंगल से दृष्टे हो
तो उन्हें हनुमानजी की प्रतिमा पर तिल का तेल सिंदूर चढ़ाना चाहिए।
प्रत्ये क मंगलवार और शनिवार को यह उपचार करने पर शनि से पैदा हुई बाधा का
शीघ्र निवारण होता है।
मेष, वृश्चिक, कर्क, सिंह, धनु और
मीन राशियों में शनि संबंधी ऐसी बाधाएं आने की आशंका अधिक होती है।
बाल हनुमान ने खेल-खेल में रवि का भक्षण कर लिया था। सूर्य को ग्रसने के
लिए आगे बढ़ रहे राहू को परास्त कर हनुमान ने यह चमत्कार किया था। जिन
जातकों की राहू की महादशा या अंतरदशा चल रही हो उन्हें आवश्यक रूप से
हनुमान के बाल रूप की आराधना करने से शीघ्र लाभ होता है।
केतू मंगल का एजेंट है। ऐसे में केतू खराब होने अथवा शनि से पीडि़त होने
पर हनुमान मंदिर में बिना गोटे कनारी की ध्वजा चढ़ाने से केतू की पीड़ा
शांत होती है। केतू से आमतौर पर शारीरिक कष्ट बढ़ता है। ऐसा माना जाता है
कि हनुमान मंदिर पर जैसे जैसे ध्वजा लहराएगी, जातक के शरीर में कष्ट कम
होता जाएगा।
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वेब शीर्षक-इस भगवान के स्मरण मात्र से ही साधकों का काम चल जाता है
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