इंडोनेशिया, जो अपनी विविधता और समृद्ध संस्कृति के लिए जाना जाता है, इन दिनों एक नई प्रथा के लिए चर्चा में है: “आनंद विवाह” या मुताह निकाह। यह प्रथा कम आय वाले परिवारों की युवतियों के लिए एक आर्थिक सहारा बन गई है, जिनका संबंध मुख्य रूप से मध्य पूर्व से आने वाले पुरुष पर्यटकों से होता है। इस लेख में हम इस प्रथा की उत्पत्ति, सामाजिक प्रभाव और इसके पीछे के कारणों की गहराई में जाएंगे।
आनंद विवाह की उत्पत्ति
आनंद विवाह की प्रथा इस्लाम में मुताह निकाह के रूप में जानी जाती है। यह अस्थायी विवाह का एक रूप है, जो मुस्लिम समुदाय में प्रचलित है। इसका अर्थ है ‘आनंद’ और यह एक निजी अनुबंध पर आधारित होता है। यह विवाह कभी-कभी एक घंटे से लेकर 99 साल तक की अवधि के लिए होता है।
इंडोनेशिया में, विशेष रूप से पुंकाक क्षेत्र में, यह प्रथा तेजी से एक आकर्षक उद्योग बन गई है। जहां पर पुरुष पर्यटक स्थानीय महिलाओं के साथ इस प्रकार के विवाह करके अपनी यौन आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, वहीं महिलाएं आर्थिक सहायता प्राप्त करती हैं।
कम आय और आर्थिक जरूरतें
कम आय वाले परिवारों की युवतियों के लिए, आनंद विवाह एक आर्थिक उपाय बन गया है। कई महिलाएं इसे अपनी आजीविका का एक तरीका मानती हैं। 28 वर्षीय काहाया, जिन्होंने इस प्रथा का अनुभव किया है, ने बताया कि उसने 15 से अधिक बार ऐसे विवाह किए हैं। उसकी कहानी बताती है कि कैसे परिवार की आर्थिक समस्याओं ने उसे इस रास्ते पर चलने के लिए मजबूर किया।
काहाया की दादी और दादा बीमार हैं, और उसकी कमाई का मुख्य स्रोत यही शादियां हैं। हर विवाह से वह 300 से 500 डॉलर कमाती है, जो उसके लिए और उसके परिवार के लिए काफी महत्वपूर्ण है। हालांकि, उसके परिवार को इस काम के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
विवाह की प्रक्रिया
आनंद विवाह की प्रक्रिया में कई चरण होते हैं। एजेंसियां पर्यटकों को स्थानीय महिलाओं से मिलवाती हैं और दोनों पक्षों की सहमति से विवाह आयोजित किया जाता है। विवाह के बाद, पुरुष महिला को एक तय राशि का भुगतान करता है, जो कि उसे दुल्हन की कीमत के रूप में दी जाती है। जब तक पर्यटक वहां रहते हैं, महिला उसे घरेलू और यौन सेवाएं देती है। विवाह का अंत पर्यटक के जाने के साथ ही होता है।
विवाद और आलोचना
हालांकि, इस प्रथा के पीछे की वास्तविकता काफी विवादास्पद है। कई लोगों का मानना है कि यह प्रथा महिलाओं के शोषण का एक रूप है। पर्यटक स्थानीय महिलाओं का फायदा उठाते हैं, और इससे उनकी सुरक्षा भी खतरे में पड़ती है।
इसके अलावा, कुछ इस्लामिक विद्वान इस प्रथा को “अस्वीकृत” मानते हैं, क्योंकि इसका आयोजन बिना उचित कानूनी ढांचे के होता है। इंडोनेशियाई विवाह कानूनों के अनुसार, इस प्रकार के अस्थायी विवाह को स्वीकार नहीं किया जाता, और इसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
इस्लाम में मुताह निकाह
मुताह निकाह की उत्पत्ति शिया इस्लाम में हुई थी, लेकिन इसके संबंध में विभिन्न मत हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि यह प्रथा अब वैध नहीं है, जबकि अन्य इसे जायज मानते हैं।
इस प्रकार के विवाह को लेकर आलोचकों का कहना है कि यह वास्तव में शादी से पहले यौन संबंध बनाने का एक तरीका है। कुछ इसे वेश्यावृत्ति से भी जोड़ते हैं, और इस प्रकार के विवाह को सामाजिक दृष्टिकोण से गलत मानते हैं।
सामाजिक प्रभाव
इस प्रथा के प्रभाव का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही है। पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिल रहा है, लेकिन इसके साथ ही महिलाओं का शोषण भी बढ़ रहा है।
महिलाएं इस प्रकार की शादियों में संलग्न होकर अपनी आय बढ़ा रही हैं, लेकिन इसके साथ ही उन्हें सामाजिक और व्यक्तिगत सुरक्षा की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
इंडोनेशिया में आनंद विवाह एक जटिल और विवादास्पद प्रथा है, जो महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक जीवन को प्रभावित कर रही है। यह न केवल एक व्यापारिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके पीछे की मानवता और नैतिकता पर भी सवाल उठते हैं।
इस प्रथा के प्रभाव और इसके पीछे के कारणों को समझना जरूरी है, ताकि हम इस मुद्दे को सही तरीके से देख सकें और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा कर सकें।