बस स्टैंड की हलचल
नई दिल्ली का आईएसबीटी कश्मीरी गेट, जहां हरियाणा रोडवेज की बसें दिन भर यात्रियों को लेकर जाती हैं, वहां की स्थिति को लेकर हमने एक ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की है। दोपहर के दो बजे, स्टैंड नंबर 30 से 35 तक बसों की कतार लगी हुई थी। पानीपत, सोनीपत, चंडीगढ़, हिसार और कुरुक्षेत्र जाने वाले यात्रियों की भीड़ थी, जो सीट पाने के लिए दौड़ रही थी। इस भागदौड़ में सवारियों के चेहरे पर चिंता और असंतोष के संकेत साफ नजर आ रहे थे।
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बेरोजगारी का ज्वलंत मुद्दा
पानीपत जाने वाली बस में बैठे चिराग, जो एक इंटीरियर डिजाइनर हैं, ने सबसे पहले बात शुरू की। उन्होंने बेरोजगारी को हरियाणा के चुनावी मुद्दों में सबसे प्रमुख बताया। उनके अनुसार, राज्य में युवा वर्ग के सामने रोजगार के विकल्प अत्यंत सीमित हैं। उन्होंने कहा, “हरियाणा में नौकरियां नहीं हैं। स्पोर्ट्स में जाने का विकल्प है, लेकिन सभी युवा इसमें नहीं जा सकते।”
विदेश जाने की प्रवृत्ति
चिराग के साथ बातचीत में यह भी सामने आया कि कई युवा देश से बाहर जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह केवल हरियाणा का मुद्दा नहीं है, बल्कि पंजाब और चंडीगढ़ का भी यही हाल है। “पैरेंट्स 25-30 लाख खर्च कर बच्चों को विदेश भेज देते हैं, जहां वे किसी भी काम में लग जाते हैं। यहां ऐसा नहीं कर सकते, क्योंकि यहां सब जानने वाले हैं। वहां पर कोई जानने वाला नहीं होता,” उन्होंने कहा।
विकास की कमी
चर्चा में सुनील, जो चरखी-दादरी के निवासी हैं, ने भी अपनी राय रखी। उन्होंने बताया कि हरियाणा में विकास की कमी है। “दिल्ली से अपने शहर आने में जितना समय लगता है, उससे ज्यादा समय शहर से अपने घर जाने में लगता है। यहां के नेशनल हाईवे के अलावा, शहरों के लिए सड़कें ठीक नहीं हैं,” उन्होंने कहा।
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किसानों का मुद्दा: एक अनसुलझा प्रश्न
इस बीच, बस के कंडक्टर ने भी चर्चा में भाग लिया, हालांकि उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “किसानों का मुद्दा अभी भी एक बड़ा मुद्दा है। मामला शांत दिखता है, लेकिन ऐसा नहीं है। इसका असर मतदान में दिखेगा।”
महंगाई: एक और चुनौती
समालखा के नसीम खान ने महंगाई के मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा, “बेरोजगारी और किसानों के मुद्दे के अलावा, महंगाई भी एक बड़ा विषय है। पिछले 10 सालों से लोगों को कोई राहत नहीं मिली है। नाराजगी बढ़ रही है। लोगों ने कांग्रेस को हटाकर भाजपा को इसलिए जिताया था कि वे राहत दें।”
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उम्मीदों का बोझ
कुरुक्षेत्र के राजन ने एक अलग नजरिया पेश किया। उन्होंने कहा, “लोग अपनी जरूरतें बढ़ा रहे हैं और सरकार से ज्यादा उम्मीदें कर रहे हैं। यह असंतोष का कारण है। सुधार लाने के लिए पहले खुद को सुधारना जरूरी है।”
बस की यात्रा और विचारों का संगम
जैसे ही ड्राइवर ने बस को स्टार्ट किया, सभी यात्रियों के बीच की चर्चा एक नई दिशा में मुड़ गई। यह यात्रा केवल भौतिक दूरी नहीं थी, बल्कि समस्याओं और चिंताओं की गहराई तक जाने का एक प्रयास थी। आईएसबीटी कश्मीरी गेट से निकलते हुए यह स्पष्ट हो गया कि हरियाणा के लोग केवल अपनी व्यक्तिगत कठिनाइयों को नहीं, बल्कि राज्य की बड़ी तस्वीर को भी देख रहे हैं।
यह ग्राउंड रिपोर्ट दर्शाती है कि लोगों की चिंताएं केवल स्थानीय मुद्दों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे अपने राज्य और देश के विकास की दिशा में भी गंभीरता से विचार कर रहे हैं।