दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में रामलीला मैदान में आयोजित ‘जनता की अदालत’ कार्यक्रम में अपने भविष्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद यह उनकी पहली सार्वजनिक उपस्थिति थी, जहां उन्होंने अपने बंगले को खाली करने की योजना की घोषणा की।
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बंगला कब खाली होगा
केजरीवाल ने अपने संबोधन में कहा, “कुछ दिन में मैं बंगला छोड़ दूंगा और आज दिल्ली में मेरे पास रहने के लिए घर भी नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें कई लोगों के फोन आ रहे हैं, जो उन्हें अपने घर में रहने का प्रस्ताव दे रहे हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नवरात्र के बाद वह अपने वर्तमान निवास को छोड़ देंगे और आम लोगों के बीच रहेंगे।
पुराने दिनों की यादें
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केजरीवाल ने इस अवसर पर अन्ना आंदोलन की यादें ताजा करते हुए कहा, “मुझे आज भी याद है कि 4 अप्रैल 2011 का दिन था, जब आजाद भारत का भ्रष्टाचार विरोधी अन्ना आंदोलन यहां से शुरू हुआ था। उस वक्त की सरकार अहंकारी थी और हमारी बात नहीं मानी।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनकी पार्टी ने ईमानदारी से चुनाव लड़कर सरकार बनाई और जनता को कई सुविधाएँ दीं, जैसे मुफ्त बिजली, पानी और शिक्षा।
शिक्षा का मुद्दा
केजरीवाल ने शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “75 सालों में शिक्षा का बेड़ा ग़र्क कर दिया गया। लेकिन 75 साल बाद एक ऐसा शख्स आया, मनीष सिसोदिया, जिसने ऐसे स्कूल बनाए जहां सबको अच्छी शिक्षा मिलती है।” उन्होंने मनीष सिसोदिया को केंद्रीय सरकार के द्वारा जेल में डालने पर चिंता व्यक्त की और कहा, “ये दो साल मनीष सिसोदिया के नहीं, देश के खराब हुए हैं।”
बीजेपी पर हमले
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अपने संबोधन में केजरीवाल ने बीजेपी पर भी हमला किया। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों से उनकी सरकार ईमानदारी से काम कर रही थी, लेकिन मोदी सरकार ने षड्यंत्र रचकर कई बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया। उन्होंने कहा, “हमने जेल से बाहर आकर इस्तीफा दिया।”
कार्यकर्ताओं के लिए संदेश
केजरीवाल ने अपने संबोधन के अंत में RSS के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, “चिंतन जरूर करना।” यह उनके विचारों को साझा करने और उनकी विचारधारा पर पुनर्विचार करने का एक संकेत था।
केजरीवाल का यह भाषण न केवल उनकी राजनीति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि यह भी कि वे जनता के बीच रहने के लिए तैयार हैं। उनका यह कदम उनकी ईमानदारी और जन सेवा के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे चलकर वे किस प्रकार की राजनीतिक रणनीतियाँ अपनाते हैं और कैसे जनता उनके साथ जुड़ती है।
इस प्रकार, केजरीवाल का यह कार्यक्रम न केवल एक राजनीतिक मंच था, बल्कि यह दिल्ली की जनता के लिए उनके विचारों और अनुभवों को साझा करने का एक अवसर भी था।
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