अमित शाह का जम्मू-कश्मीर 1 दौरा : विकास और सुरक्षा के मुद्दे पर फोकस

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अमित शाह का जम्मू-कश्मीर 1 दौरा : विकास और सुरक्षा के मुद्दे पर फोकस
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर का दौरा किया, जो उनके लिए महत्त्वपूर्ण राजनीतिक कार्यक्रमों में से एक था। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब जम्मू-कश्मीर में चुनावों की तैयारियाँ चल रही हैं। शाह ने अपने दौरे के दौरान यहाँ के विकास, सुरक्षा, और राजनीतिक स्थिरता पर जोर दिया।

चुनावी जनसभाओं का आयोजन

अमित शाह ने पिछली चुनावी रैली में कहा था कि कांग्रेस-NC धारा 370 वापस लाना चाहती हैं, लेकिन बीजेपी के रहते हुए ऐसा कभी नहीं होगा।

आज अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के विभिन्न स्थानों पर पांच जनसभाएँ कीं। उन्होंने मेंढर, पूंछ, थानामंडी, राजौरी और अखनूर में कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उनका मुख्य उद्देश्य भाजपा के प्रत्याशियों के लिए समर्थन जुटाना था। पिछले दौरे में, शाह ने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के हटने के बाद हुए विकास कार्यों का जिक्र किया था और यहाँ के लोगों को केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभ के बारे में बताया था।

शाह की स्पीच में मुख्य बिंदु

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अमित शाह की स्पीच में कई महत्वपूर्ण बिंदु सामने आए। उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस जैसे दल आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले हैं। उनका दावा था कि मोदी सरकार में नौकरी पाने के लिए लैपटॉप की आवश्यकता है, जबकि बंदूक वाले लोगों को जेल में जाना होगा। यह बयान उन युवाओं के लिए था जो आतंकी गतिविधियों में लिप्त हैं।

शाह ने यह भी कहा कि धारा 370 हटने के बाद महिलाओं और अन्य वर्गों को जो आरक्षण मिला है, उसे कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस खत्म करना चाहती हैं। उन्होंने उमर अब्दुल्ला पर हमला करते हुए कहा कि उनकी नीतियों ने जम्मू-कश्मीर के विकास को ठप कर दिया है।

आतंकवाद और सुरक्षा का मुद्दा

अमित शाह ने स्पष्ट किया कि अगर नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की सरकार बनी, तो जम्मू-कश्मीर में फिर से आतंकवाद का मंजर देखने को मिलेगा। उनका कहना था कि भारतीय सेना और सुरक्षा बलों की मौजूदगी इस बात की गारंटी है कि आतंकवादियों को किसी प्रकार की छूट नहीं दी जाएगी।

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स्थानीय शासन का महत्व

शाह ने पंचायत चुनावों के महत्व पर भी जोर दिया। उनका कहना था कि मोदी सरकार ने वंशवाद को समाप्त किया है और स्थानीय स्तर पर योग्य लोगों को निर्णय लेने का अवसर दिया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार स्थानीय लोगों को सशक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।

इतिहास के साथ आगे बढ़ना

उन्होंने अनुच्छेद 370 को इतिहास का हिस्सा बताते हुए कहा कि भारत के संविधान में इसके लिए कोई स्थान नहीं है। शाह का यह बयान निश्चित रूप से उन राजनीतिक दलों के लिए चुनौती है जो इसे वापस लाने की बात करते हैं।

अमित शाह ने चेतावनी दी कि जो लोग आतंकवाद को बढ़ावा देने की सोच रखते हैं, उनके लिए समय समाप्त हो रहा है। उनका संदेश स्पष्ट था—यदि वे वापसी नहीं करते हैं, तो उन्हें भारतीय सुरक्षा बलों का सामना करना पड़ेगा।

अमित शाह का यह दौरा और उनके द्वारा दिए गए बयान न केवल चुनावी राजनीति के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण हैं, बल्कि यह जम्मू-कश्मीर की वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं को भी उजागर करते हैं। उनका फोकस विकास, सुरक्षा और स्थानीय शासन पर है, जो जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए एक नई दिशा प्रदान कर सकता है।

इस प्रकार, अमित शाह का दौरा यह दर्शाता है कि भाजपा जम्मू-कश्मीर को एक विकासशील और सुरक्षित क्षेत्र के रूप में स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। राजनीतिक स्थिरता, सुरक्षा और विकास की इस नई दृष्टि के साथ, जम्मू-कश्मीर का भविष्य कैसे आकार लेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

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