अमिताभ बच्चन, जिन्हें बॉलीवुड का “शहंशाह” कहा जाता है, ने अपने लंबे करियर में कई ऐतिहासिक फिल्में दी हैं। लेकिन कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जो सिनेमा के इतिहास में हमेशा के लिए अमर हो जाती हैं और दर्शकों के दिलों पर छाप छोड़ जाती हैं। ऐसी ही एक फिल्म है ‘मुकद्दर का सिकंदर’ जो 1978 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म ने अमिताभ बच्चन को एक ऐसे सुपरस्टार के रूप में स्थापित किया, जिनका जादू बॉक्स ऑफिस पर चलता था। यह फिल्म न केवल अपनी रिलीज के समय एक ब्लॉकबस्टर साबित हुई, बल्कि कई रिकॉर्ड भी अपने नाम किए।
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इस ब्लॉग में हम आपको अमिताभ बच्चन की ‘मुकद्दर का सिकंदर’ की कहानी, किरदार, कमाई और इसकी ऐतिहासिक सफलता के बारे में विस्तार से बताएंगे।
‘मुकद्दर का सिकंदर’ की कहानी: संघर्ष और सफलता की अनोखी दास्तान
फिल्म ‘मुकद्दर का सिकंदर’ की कहानी एक अनाथ बच्चे सिकंदर के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसका जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ है। बचपन से ही उसने संघर्ष करना सीखा, और वक्त के थपेड़ों ने उसे मजबूत बना दिया। सिकंदर का किरदार दर्शकों को यह संदेश देता है कि मेहनत और लगन से किसी भी मुकाम को हासिल किया जा सकता है।
कहानी में सिकंदर एक अमीर आदमी के यहाँ नौकर होता है और वहीं उसकी मुलाकात कामिनी से होती है। कामिनी का किरदार राखी ने निभाया है। सिकंदर कामिनी से एकतरफा प्यार करने लगता है, लेकिन उसकी भावनाओं को कामिनी कभी समझ नहीं पाती। इसी बीच, उसकी जिंदगी में जोहरा बाई (रेखा) का भी प्रवेश होता है, जो एक कोठे की महिला है और सिकंदर से गहरा प्यार करती है।
फिल्म के किरदारों के संघर्ष, भावनात्मक उलझनों और सिकंदर की प्रेम कहानी ने दर्शकों को खासा प्रभावित किया था। सिकंदर का किरदार निभाते हुए अमिताभ बच्चन ने अपने अभिनय कौशल का बेहतरीन प्रदर्शन किया और एक ऐसी यादगार फिल्म बनाई, जिसने भारतीय सिनेमा में एक मील का पत्थर स्थापित किया।
अमिताभ बच्चन का दमदार अभिनय
अमिताभ बच्चन का किरदार सिकंदर एक चुनौतीपूर्ण भूमिका थी। इस किरदार में उन्होंने अपनी मेहनत, ताकत और एक्टिंग स्किल का अद्भुत प्रदर्शन किया। उनकी संवाद अदायगी और भाव-भंगिमाओं ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अमिताभ का यह रोल इतना जीवंत था कि आज भी ‘मुकद्दर का सिकंदर’ का जिक्र होते ही दर्शक उस किरदार को याद करने लगते हैं।
अमिताभ के अभिनय में इतनी गहराई थी कि वह अपने किरदार के दर्द और संघर्ष को दर्शकों तक पूरी तरह से पहुंचाने में सफल रहे। फिल्म के क्लाइमेक्स में उनकी भावनात्मक अपील और दर्द ने दर्शकों को रोने पर मजबूर कर दिया था। उनके अभिनय ने साबित कर दिया कि वह क्यों बॉलीवुड के महानायक कहलाते हैं।
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रेखा और राखी की शानदार परफॉर्मेंस
अमिताभ बच्चन के अलावा फिल्म में रेखा और राखी का काम भी कमाल का था। रेखा ने जोहरा बाई का किरदार निभाया था, जो अपने किरदार में अद्भुत रूप से ढल गई थीं। रेखा का यह रोल उनके करियर के सबसे यादगार रोल्स में से एक है। जोहरा बाई का सिकंदर के प्रति प्यार और उसकी मजबूरियों का दर्द रेखा ने बखूबी प्रस्तुत किया।
वहीं, राखी ने कामिनी का किरदार निभाया, जो सिकंदर के बचपन की दोस्त और उसका एकतरफा प्यार है। राखी ने अपने किरदार में गहराई और संवेदनशीलता का प्रदर्शन किया। इन दोनों अदाकाराओं ने फिल्म में अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया।
विनोद खन्ना और अमजद खान का योगदान
फिल्म में विनोद खन्ना और अमजद खान ने भी बेहतरीन अभिनय किया। विनोद खन्ना ने सिकंदर के दोस्त विशाल का किरदार निभाया, जो उसके सुख-दुख में साथ खड़ा रहता है। दोनों की दोस्ती और उनके बीच के संवाद दर्शकों को भावुक कर देते हैं। अमजद खान ने दुश्मन का किरदार निभाया, जिसने फिल्म में सिकंदर के सामने कई मुश्किलें खड़ी कीं।
इन सभी कलाकारों ने अपने-अपने किरदारों में जान डाल दी थी और यही कारण था कि यह फिल्म इतनी सफल हुई।
बॉक्स ऑफिस पर सफलता का सफर
‘मुकद्दर का सिकंदर’ की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसने लागत से 592 फीसदी ज्यादा की कमाई की थी। सैकनिल्क की रिपोर्ट के अनुसार, इस फिल्म की लागत लगभग 1.3 करोड़ रुपये थी। लेकिन रिलीज के बाद इसने भारत में 9 करोड़ रुपये का बिजनेस किया, और वर्ल्डवाइड बॉक्स ऑफिस पर 22 करोड़ रुपये की कमाई की थी।
उस समय के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि थी। फिल्म की सफलता का कारण केवल कहानी और अभिनय नहीं था, बल्कि प्रकाश मेहरा का निर्देशन, बेहतरीन संगीत और संवाद भी इस सफलता में महत्वपूर्ण योगदान रखते थे।
ब्लॉकबस्टर म्यूजिक और यादगार गीत
इस फिल्म का संगीत भी इसके बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट होने का एक कारण था। ‘मुकद्दर का सिकंदर’ का म्यूजिक आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है। गीतकार अंजान और संगीतकार कल्याणजी-आनंदजी की जोड़ी ने फिल्म के गानों को एक नई ऊंचाई दी।
“ओ साथी रे, तेरे बिना भी क्या जीना”, “रोटी कपड़ा और मकान” और “सालम-ए-इश्क मेरी जान” जैसे गाने आज भी लोगों के दिलों में बसते हैं। ये गाने न सिर्फ फिल्म को बेहतरीन बनाते हैं, बल्कि उस दौर का रोमांटिक और भावनात्मक पहलू भी दर्शाते हैं।
रिकॉर्ड-ब्रेकिंग फिल्म और दिवाली पर धमाल
‘मुकद्दर का सिकंदर’ दिवाली के मौके पर रिलीज हुई थी, और यह उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन गई थी। यह फिल्म दिवाली पर रिलीज हुई फिल्मों में सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाली फिल्म भी थी, और इस रिकॉर्ड को 7 साल तक कायम रखा था। 1985 में अमिताभ की ही फिल्म ‘मर्द’ ने इस रिकॉर्ड को तोड़ा।
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वर्तमान में अमिताभ बच्चन का करियर
46 साल बाद भी अमिताभ बच्चन का सितारा बुलंद है। हाल ही में वे फिल्म ‘कल्कि 2898 एडी’ में नजर आए, जिसमें उन्होंने अश्वत्थामा का किरदार निभाया। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट रही और दुनियाभर में 1000 करोड़ से ज्यादा की कमाई की।
निष्कर्ष: एक कालजयी फिल्म
‘मुकद्दर का सिकंदर’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक एहसास है, जिसने उस समय के समाज और दर्शकों पर गहरा प्रभाव डाला। यह फिल्म हमें संघर्ष, प्रेम, त्याग और दोस्ती का महत्व सिखाती है। अमिताभ बच्चन का यह किरदार और यह फिल्म दोनों ही भारतीय सिनेमा में हमेशा याद किए जाएंगे।
अगर आपने अब तक इस क्लासिक फिल्म को नहीं देखा है, तो यह समय है कि आप अमिताभ बच्चन की इस अद्भुत परफॉर्मेंस और फिल्म की बेहतरीन कहानी का लुत्फ उठाएं।