बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन की जिंदगी संघर्ष, सफलता और उतार-चढ़ाव से भरी एक प्रेरणादायक कहानी है। जिस आवाज को ऑल इंडिया रेडियो ने रिजेक्ट कर दिया था, उसी आवाज ने उन्हें हिंदी सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित और चहेता कलाकार बना दिया। अपने 54 साल के करियर में अमिताभ बच्चन ने न केवल एक्टिंग की दुनिया में नई ऊंचाइयां छुईं, बल्कि अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत से हर मुश्किल का सामना करते हुए अपनी पहचान बनाई।
शुरुआत के दिन: आवाज की वजह से रिजेक्ट
अमिताभ बच्चन की जिंदगी में कई ऐसे मोड़ आए, जो उनके लिए बड़ी चुनौती थे। उनके शुरुआती दिनों में, जब वह ऑल इंडिया रेडियो में अपनी आवाज के लिए ऑडिशन देने पहुंचे, तो उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया। उनके बारे में कहा गया कि उनकी आवाज प्रसारण के लिए सही नहीं है। यह रिजेक्शन किसी के भी आत्मविश्वास को तोड़ सकता था, लेकिन अमिताभ ने इसे अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। उन्होंने अपनी इस आवाज को ही अपनी सबसे बड़ी ताकत बना लिया।
1969 में फिल्म भुवन शोम में नरेटर के रूप में अमिताभ ने हिंदी सिनेमा में अपने कदम रखे। इस छोटे से काम के लिए उन्हें 300 रुपये मिले, लेकिन यह उनके सफर की शुरुआत थी। जल्द ही उसी साल उन्हें अपनी पहली फिल्म सात हिंदुस्तानी मिली, जिसमें उन्हें 5 हजार रुपये की फीस मिली। यह उनके करियर का पहला बड़ा कदम था।
संघर्ष और सफलता का सफर: ‘आनंद’ से ‘जंजीर’ तक
अमिताभ बच्चन के शुरुआती फिल्मी सफर में बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिली। फिल्म रेशमा और शेरा में उन्होंने एक मूक बधिर युवक छोटू का किरदार निभाया। यह रोल छोटा था, लेकिन उनके अभिनय की क्षमता का परिचय दिया। इसके बाद 1971 में आई फिल्म आनंद ने उनकी जिंदगी बदल दी। इस फिल्म में उन्होंने ‘बाबू मोशाय’ का किरदार निभाया, जो आज भी दर्शकों के दिलों में बसा हुआ है। आनंद में उनकी और राजेश खन्ना की जोड़ी ने दर्शकों को भावुक कर दिया।
1973 में आई फिल्म जंजीर अमिताभ के करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुई। इस फिल्म में उन्होंने एक एंग्री यंग मैन का किरदार निभाया, जिसे दर्शकों ने बेहद पसंद किया। बॉलीवुड को उनका नया एंग्री यंग मैन मिल चुका था। जंजीर की सफलता ने अमिताभ को स्टार बना दिया और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
सफलता की ऊंचाई: हर जॉनर में महारत
जंजीर के बाद अमिताभ ने एक से बढ़कर एक फिल्में की, जिनमें दीवार, शोले, नमक हलाल, लावारिस, शराबी और डॉन जैसी फिल्में शामिल हैं। इन फिल्मों ने न केवल अमिताभ को महानायक का दर्जा दिया, बल्कि भारतीय सिनेमा के मयार को भी ऊंचा उठाया। अमिताभ के अभिनय की खासियत थी कि वह हर किरदार में ढल जाते थे। उनकी बैरिटोन आवाज और लंबी कद-काठी उनके किरदारों को और भी प्रभावी बनाती थी।
अमिताभ की लंबी टांगें और कद-काठी उनके करियर के शुरुआती दिनों में कई बार उनके लिए मुश्किल बन गई। उस दौर की कई अभिनेत्रियों ने उनके साथ काम करने से इनकार कर दिया क्योंकि वह उन्हें बहुत लंबे लगते थे। लेकिन यह समस्या भी अमिताभ के लिए कभी रुकावट नहीं बनी। वह अपनी मेहनत और अभिनय क्षमता के दम पर हर मुश्किल को पार करते गए।
वायुसेना का सपना और रिजेक्शन
अमिताभ बच्चन का एक सपना था कि वह भारतीय वायुसेना में शामिल होकर देश की सेवा करें। बचपन में उनके पिता हरिवंशराय बच्चन से एक सैन्य अधिकारी ने कहा था, “अपने बेटे को वायुसेना में दे दीजिएगा।” लेकिन जब अमिताभ ने वायुसेना में भर्ती होने की कोशिश की, तो उन्हें उनकी लंबी टांगों के कारण रिजेक्ट कर दिया गया। इस रिजेक्शन ने अमिताभ को निराश किया, लेकिन उन्होंने इसे भी अपनी ताकत बना लिया।
सफलता के शिखर पर: इंडस्ट्री के ‘शहंशाह’
अमिताभ बच्चन ने अपनी जिंदगी में जो भी मुश्किलें झेलीं, उन्हें अपनी ताकत बनाते गए। वह न केवल एक सफल अभिनेता बने, बल्कि उन्होंने भारतीय सिनेमा को एक नया आयाम दिया। शहंशाह जैसी फिल्मों ने उनके इस नाम को पुख्ता किया। उनकी फिल्में सिर्फ मनोरंजन नहीं थीं, बल्कि उनमें समाज के मुद्दों को भी उठाया गया।
राजनीति और आर्थिक संकट: अमिताभ की दूसरी पारी
अमिताभ बच्चन ने अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे। फिल्मों में जबरदस्त सफलता पाने के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा और संसद पहुंचे, लेकिन उनका यह सफर बहुत ज्यादा सफल नहीं रहा। इसके बाद उन्होंने प्रोडक्शन कंपनी एबीसीएल (Amitabh Bachchan Corporation Limited) शुरू की, जो चल नहीं पाई और उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।
यह वह दौर था जब अमिताभ का करियर और निजी जिंदगी दोनों ही मुश्किलों से घिरे हुए थे। फिल्मों में फ्लॉप होने और आर्थिक संकट का सामना करने के बावजूद, अमिताभ ने हार नहीं मानी। 2000 में, जब उन्होंने कौन बनेगा करोड़पति (KBC) के लिए टीवी पर कदम रखा, तो यह भी उनके करियर का एक नया मोड़ साबित हुआ। कई लोगों ने टीवी पर काम करने के उनके फैसले को गलत बताया, लेकिन अमिताभ ने अपने शानदार अंदाज से सबको गलत साबित कर दिया।
सादगी और मूल्यों का प्रतीक: बिग बी की सीख
अमिताभ बच्चन की जिंदगी न केवल उनकी पेशेवर उपलब्धियों से प्रेरित है, बल्कि उनके निजी जीवन में उनके द्वारा अपनाए गए मूल्य भी अनमोल हैं। वह हमेशा अपने माता-पिता की सीख को अपने जीवन का हिस्सा मानते आए हैं। उनकी मां तेजी बच्चन ने उन्हें सिखाया था कि “कभी मार खाकर मत आना और खुद को कमजोर मत समझना।” उनके पिता ने उन्हें यह समझाया था कि जो तुम्हारे मन के मुताबिक न हो, उससे निराश मत हो, क्योंकि ईश्वर ने तुम्हारे लिए कुछ बेहतर सोच रखा है।
आखिरी शब्द: एक प्रेरणादायक सफर
अमिताभ बच्चन का सफर सिर्फ एक अभिनेता का सफर नहीं है, यह एक प्रेरणादायक कहानी है जो हर उस व्यक्ति को प्रेरित करती है जो संघर्षों से जूझ रहा है। अमिताभ ने अपनी जिंदगी में हर रिजेक्शन, हर असफलता को अपनी ताकत बनाया और उसे सफलता में बदल दिया।
आज वह न केवल सिनेमा के शहंशाह हैं, बल्कि एक ऐसा व्यक्तित्व भी हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी में हर मुश्किल को अपने दम पर हराया है। अमिताभ बच्चन की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए मिसाल है जो सपनों का पीछा करते हुए अपनी मंजिल तक पहुंचना चाहता है।
अमिताभ बच्चन: आवाज से रिजेक्शन से लेकर ‘शहंशाह’ बनने तक का सफरhttp://अमिताभ बच्चन: आवाज से रिजेक्शन से लेकर ‘शहंशाह’ बनने तक का सफर