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कई बार जीवन में कुछ ऐसा घटित होने लगता है जो हमें बिल्कुल नहीं सुहाता। ऐसे में ज्ञानीजन शास्त्रों की ओर देखने को कहते हैं। उपनिषदों और धार्मिक ग्रंथों में खुशियां लाने के कुछ खास उपाय बताए गए हैं, आप भी जानें-
अगर आपके व्यापार में मंदी आ गयी है या नौकरी में मंदी आ गयी है तो यह करें। किसी साफ़ शीशी में सरसों का तेल भरकर उस शीशी को किसी तालाब या बहती नदी के जल में डाल दें। शीघ्र ही मंदी का असर जाता रहेगा और आपके व्यापार में जान आ जाएगी।
आपके ज्यादातर कार्य असफल हो रहे हैं या कार्य के प्रारम्भ होते ही उसमें विध्न आ जाते हैं और वह असफल हो जाते हैं तो प्रातःकाल कच्चा सूत लेकर सूर्य के सामने मुंह करके खड़े हो जाएं। फिर सूर्य देव को नमस्कार करके ॐ हीं घ्रणि सूर्य आदित्य श्रीम मंत्र बोलते हुए सूर्य देव को जल चढ़ाएं। जल में रोली, चावल, चीनी तथा लाल पुष्प दाल लें। इसके पश्चात कच्चे सूत को सूर्य देव की तरफ करते हुए गणेशजी का स्मरण करते हुए सात गाँठ लगाएं। इसके पश्चात इस सूत को किसी खोल में रखकर अपनी कमीज की जेब में रख लें, आपके बिगड़े कार्य बनाने लगेंगे।
अगर आपको नौकरी या काम नहीं मिल रहा है और आप मारे-मारे फिर रहे हैं तो एक दाग रहित बड़ा नीबूं लें और चौराहे पर बारह बजे से पहले जाकर उसके चार हिस्से कर लें और चारों दिशाओं में दूर-दूर फेंक दें। फलस्वरूप बेरोजगारी की समस्या समाप्त हो जाएगी। अपने सोए भाग्य को जगाने के लिए आप प्रात सुबह उठकर जो भी स्वर चल रहा हो, वही हाथ देखकर तीन बार चूमें, तत्पश्चात वही पांव धरती पर रखें और वही कदम आगे बाधाएं। ऐसा नित्य-प्रतिदिन करने से निश्चित रूप से भाग्योदय होगा।
अगर आपके परिवार में अशांति रहती है और सुख-चैन का अभाव है तो प्रतिदिन प्रथम रोटी के चार भाग करें, जिसका एक गाय को, दूसरा काले कुत्ते को, तीसरा कौवे को तथा चौथा टुकड़ा किसी चौराहे पर रखवा दें तो इसके प्रभाव से समस्त दोष समाप्त होकर परिवार की शांति तथा सम्रद्धि बढ़ जाती है।
अगर आपको किसी कारणवश गर्भ धारण नहीं हो रहा हो तो मंगलवार के दिन कुम्हार के घर आएं और उसमें प्रार्थना कर मिट्टी के बर्तन वाला डोरा ले आएं। उसे किसी गिलास में जल भरकर दाल दें। कुछ समय पश्चात डोरे को निकाल लें और वह पानी पति-पत्नी दोनों पी लें। यह क्रिया केवल मंगलवार को ही करनी है अगर संभव हो तो उस दिन पति-पत्नी अवश्य ही रमण करें। गर्भ की स्थिति बनते ही उस डोरे को हनुमानजी के चरणों में रख दें।
अक्सर हम गृहस्थ जीवन में देखते हैं तो गृहस्थ का सामान टूट-फूट जाता है या सामान चोरी हो जाता है। जो भी आता है असमय ही ख़त्म हो जाता है। रसोई में बरकत नहीं रहती है तो ऐसी स्त्रियाँ भोजन बनाने के बाद शेष अग्नि को न बुझाएं और जब सब जलकर राख हो जाए तो राख को गोबर में मिलाकर रसोई को लीप दें। फर्श हो तो उस राख को पानी में घोलकर उसी पानी से फर्श धोले। यह क्रिया कई बार करें। घर-गृहस्थी का छोटा-मोटा सामान, गिलास, कटोरी, चम्मच आदि सदैव बने रहेंगे।
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