रंगीन मिठाईयों से बचें, मिलावटी मावा बिगाड़ सकता है सेहत का खेल

अंधकार को दूर भगाने और पूरी धरा पर प्रकाश फैलाने का त्योहार है दीपावली। इसका स्वागत रोशनी के साथ साथ मिठाईयों के संघ किया जाता है। यदि आप मिठाई खरीदने जा रहें है तो यह सुन्श्चित जरूर कर लें कि जहां से आप मिठाई खरीद रहें है वहां शुद्धता का पूरा ध्यान रखा जाता है। दरअसल मांग अधिक होने के चलते मिलावट का खेल भी ज़ोर पकड़ने लगता है। कई स्थानों पर चोरी चुपके भट्ठियों पर मिलावटी मावा तैयार होता है। जिन पर सरकार की ओर से कड़ी कार्यवाही भी की जाता है। मावे में वाशिंग पाउडर, रिफाइंड, पाउडर और ऑयल समेत केमिकल मिलाकर इसे तैयार किया जाता है। यह मिलावटी मिठाई आप की सेहत का खेल बिगाड़ सकती है।

05 03 2020 mava 20087896

दिपावली के नजदीक आते ही मिठाई, रसगुल्लों और मावे से बने अन्य खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ जाती है। इसके अलावा तरह तरह की नमकीनों का करोबार भी तेजी से चल पड़ता है। नमकीन बानने में किस प्रकार के तेज का प्रयोग किया जा रहा है इसकी जानकारी आप को नहीं होती है। बाजार में मांग अधिक होती है तो सब कुछ बिग जाएगा इसी विचार के साथ फायदा कमाने वाले लोगों की सेहत को दांव पर लगा देते हैं।

सूखी मिठाईयों को दें प्राथमिकता:

दिपावली के अवसर पर जब आप मिठाई लेने जाए तो कोशिश करें कि सूखी मिठाईयां ले जिसमें पेठा, लड्डू, बालूशाही, खुर्मे आदि को शामिल किया जा सकता है। इन मिठाईयों में मिलावट की सम्भावना बहुत कम होती है। इसमें चीनी के साथ दूसरी समाग्री शामिल होती है। सेहत के प्रति सजग ज्यादातर लोग दिपावली पर पेठा लेना पसंद करते है। इन दिनों की इसकी बिक्री भी बढ जाती है।

रंगीन मिठाईयों से करें तौबा:

त्योहारी सीजन में अक्सर यह भी देखने को मिलता है कि मिठाईयों को आकर्षक बनाने के लिए उन्हें रंग दिया जाता है। यानी मिठाई बनाने में रंगों को प्रयोग किया जाता है। कहने को तो इसे खाने वाले रंग का तर्क दिया जाता है लेकिन यह भी सच है ये रंग कैमिकल से बने होते हे इस लिए यहां भी आप के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते है। इस लिए जब भी आप मिठाई लेने जाए तो रंगीन मिठाईयों को ​कभी भी न खरीदें साथ ही दूसरों को भी इसके प्रति जागरूक करें।

ऐसे तैयार किया जाता है नकली मावा:

दिपावली के अवसर पर मावे की मांग बढ़ जाती है दूध का उत्पादन इतना नहीं होता है कि मावे की मांग पूरी की जा सके। ऐसे में मिलावट का करोबार करने वालों को मौका मिल जाता है और शुरू हो जाता है मिलावट का खेल। नकली मावा तैयार करने के लिए पहले शुद्ध दूध से क्रीम निकाल ली जाती है, इसके बाद सिंथेटिक दूध में यूरिया, डिटरजेंट, रिफाइंड और वनस्पति घी मिलाया जाता है। मावे में चिकनाई लाने के लिए वनस्पति और रिफाइंड को दोबारा मिलाया जाता है। यही नहीं मावे को ज्यादा दिन तक सुरक्षित रखने के लिए उसमें शक्कर मिला दी जाती है। जरा सोचिए इस प्रकार के केमिकल जिस खाद्य पदार्थ में मिले होगें वह सेहत को किस प्रकार से प्रभावित करेंगा।

हर साल चलाए जाते हैं जांच अभियान :

देश भर में दिपावली के अवसर पर खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से जांच अभियान चलाऐ जाते है। हर साल लगभग 45 प्रतिशत नमूने फेल पाए जाते हैं। जानकर हैरान होती है लेकिन यह सच है। हरियाणा की बात करें तो मुख्यमंत्री जांच दस्ता पिछले कई दिनों से जुटा हुआ है प्रदेश भर के लगभग सभी जिलों में जांच अभियान चलाए गए है और सैम्पल भी लिए गए है। इसके बाद भी मिलावटखोरी का कारोबार बंद नहीं होता है। जांच अभियान में सैम्पल भरे जाते है जिसकी रिपोर्ट दिपावली के बाद आती है। यदि त्वरित जांच रिपोर्ट की व्यवस्था हो तो मिलावटखोरों पर काफी हद तक अकुंश लगाया जा सकता है।

TheNationTimes

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