नूराबाद में चल रहे चंबल प्रोजेक्ट के तहत एक नया पुल बनाने की योजना ने जल संकट के समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2055 तक शहर की पेयजल आवश्यकता को पूरा करना है। इसके अंतर्गत नूराबाद पर क्वारी नदी पर एक नया पुल बनाने के प्रस्ताव को आगे बढ़ाया गया है, जिससे पाइपलाइन बिछाई जा सकेगी।

पुरातात्विक महत्व का ध्यान
पुरातत्व विभाग की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, नए पुल की ऊंचाई को मौजूदा पुलों से कम रखने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय इस प्रकार लिया गया है कि नए पुल की ऊंचाई 3.17 मीटर कम रखी जाएगी, जबकि पुरातात्विक महत्व के पुल से इसकी ऊंचाई डेढ़ मीटर कम होगी। यह सुनिश्चित करता है कि पुरातत्व विभाग को एनओसी देने में कोई बाधा नहीं होगी।
प्रगति की दिशा में कदम

प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह सहमति बनी थी कि नगर निगम द्वारा तैयार की गई ड्राइंग में आवश्यक संशोधन किए जाएंगे। इसके बाद, 20 सितंबर को संशोधित प्रस्ताव पुरातत्व विभाग को भेजा गया। अब इस प्रस्ताव की मंजूरी का इंतजार है।
जलसंसाधन विभाग से मिली एनओसी
जलसंसाधन विभाग ने पहले ही सांक नदी में निर्माण के लिए एनओसी प्रदान कर दी है। अब जब पुरातत्व विभाग से मंजूरी मिल जाएगी, तो चंबल नदी और कोतवाल डेम से पानी लाने के लिए पाइपलाइन डालने का कार्य प्रारंभ हो जाएगा।
चंबल प्रोजेक्ट का महत्व
चंबल प्रोजेक्ट का उद्देश्य मुरैना जिले के लोगों के लिए जल संसाधनों को सुलभ बनाना है। जल की बढ़ती मांग को देखते हुए, यह परियोजना न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए, बल्कि भविष्य की आवश्यकताओं के लिए भी एक स्थायी समाधान पेश करती है।
नूराबाद में नए पुल का निर्माण न केवल जल संकट को कम करने में मदद करेगा, बल्कि पुरातात्विक धरोहर का भी ध्यान रखेगा। जब यह प्रोजेक्ट पूरा होगा, तो यह न केवल पानी की आवश्यकता को पूरा करेगा, बल्कि स्थानीय बुनियादी ढांचे में भी सुधार करेगा। आने वाले दिनों में इस परियोजना की सफलता से न केवल स्थानीय लोग, बल्कि आसपास के क्षेत्र के लोग भी लाभान्वित होंगे।
उम्मीद है कि जल्द ही पुरातत्व विभाग से एनओसी मिल जाएगी और चंबल प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
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